रामगोपाल जेना
चाईबासा: एक ओर जहां सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देते हुए विज्ञान और गणित के शिक्षकों को शिक्षण के अलावा अन्य कार्यों में नहीं लगाए जाने का आदेश देती है ठीक उसी के विपरीत विभिन्न प्रखंडों में वेतन निकासी हेतु ऐसे शिक्षकों को कोषागार संवाहक बनाए गए हैं।ये संवाहक कई -कई वर्षों तक वेतन निकासी का काम में लगे हुए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस विद्यालय के विज्ञान या गणित शिक्षक संवाहक का काम कर रहे हैं वहां का विज्ञान या गणित विषय की पठन -पाठन की क्या स्थिति है। नियमत: कोषागार संवाहक का काम प्रखंड के कनीय शिक्षक से करवाना है लेकिन निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) अपने चहेते शिक्षक से संवाहक का काम करवा रहे हैं। उदाहरण स्वरूप मनोहरपुर प्रखंड के डीडीओ विज्ञान शिक्षक से संवाहक का काम करवा रहे हैं जबकि जगन्नाथपुर के डीडीओ ग्रेड-4 प्राप्त विज्ञान शिक्षक को संवाहक बनाए हुए हैं।इसी तरह कई प्रखंडों के विज्ञान शिक्षकों को कोषागार संवाहक बनाए गए हैं। प्रत्येक साल कम से कम 120 से 130 वेतन बिल की निकासी की जाती है। इतने दिन विज्ञान शिक्षक अपने विद्यार्थियों को समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे में विज्ञान शिक्षकों को सामान्य शिक्षकों से अधिक वेतन देने का कोई फायदा नहीं है।जबकि संवाहक का डीडीओ यानि प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अपने कंप्यूटर ऑपरेटर से बिल बनवाकर आदेशपाल से वेतन निकासी का काम करवा सकते हैं।झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ,पश्चिमी सिंहभूम के प्रधान सचिव उपेन्द्र प्रसाद ने जिला शिक्षा अधीक्षक,जिला शिक्षा पदाधिकारी,क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक व उपायुक्त, पश्चिमी सिंहभूम से मांग किया है कि नए सत्र से नियमानुसार डीडीओ विज्ञान शिक्षक को छोड़कर कनीय शिक्षकों या अपने आदेशपाल को कोषागार संवाहक बनाए ताकि महत्वपूर्ण विषय के पठन-पाठन से विद्यार्थियों को वंचित नहीं होना पड़े।