जावेद अख्तर की रिपोर्ट
हनवारा : अनाथों के नाथ,गरीबों के मसीहा, दुखियारी का दर्दनाशक! इन सभी के बीच ऐसी विकट परिस्थितियों में काम आने वाला एक संस्था है,जिसे लोग स्माइल फाउंडेशन के नाम से जानते हैं।
दरअसल,स्माइल फाउंडेशन एक ऐसी संस्था है, जो विकट परिस्थितियों में काम आ रही है।देश में फैली महामारी हो या फिर गांवों में दुखियारी का दंश झेल रहा कोई परिवार हो,ये संस्था उस समय ऐसे परिवारों के लिए एक स्तम्भ बनकर खड़ी हो जाती है।कोरोना का काल हो या फिर अकाल हो,ऐसी परिस्थिति में संस्था सड़क पर उतरकर गांव के छोटी-छोटी गलियों में जा-जाकर वैसे परिवारों का मददगार बन रही है।
आपको बता दें कि इस फाउंडेशन का बीजारोपण 2017 में महज कुछ युवाओं ने आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे प्रतिभावान बच्चे एवं बच्चियों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाने का एक जरिया बनते हुए उसे बेहतर शिक्षा दिलाने के मकसद से इसका बिगुल फूंका था।वहीं इस मुहिम में मिली सफलता के बाद जगी जागृति ने इसे एक दिनचर्या बना दिया।फिर क्या हर दिन और हर पल यह संस्था किसी के भी सुख-दुख में शरीक होने लगी।एक छोटे से बीज से उत्पन्न हुई यह संस्था अब एक पौधा बनकर कई परिवारों को छांव देने का काम कर रही है।ऐसे में कोरोना का काल हो या फिर आम जीवन में आई तकलीफें हों ऐसे मामले में स्माइल फाउंडेशन उस वंचित परिवारों के लिए एक मसीहा के रूप में खड़ी नजर आती है।
इसी कड़ी में स्माइल फाउंडेशन का टीम रविवार को झारखण्ड से बिहार का रुख करते हुए धोरैया प्रखंड के हसनपुर गांव पहुंची और वहां एक ऐसे निर्धन परिवार का सहारा बनी जिसका अब इस दुनिया में कमाने वाला कोई नहीं रहा और एक अकेली महिला विधवा की बोझ लिए तीन छोटे-छोटे बच्चे और समाज की जिम्मेदारी लिए अकेले ही इस दुनिया के खट्टी-मीठी ताने को झेलने को विवश हो गयी है।ऐसे में इनके घर की आर्थिक स्थिति के बारे में जब स्माइल फाउंडेशन तक बात पहुंची तो फाउंडेशन के तरफ से इन्हें तत्काल वस्त्र और खाद्य पदार्थ को उपलब्ध कराते हुए सम्बंधित परिवार को आर्थिक सहायता का लाभ दिलाने के लिए इनके बैंक सम्बन्धी दस्तावेजों को सुदृढ़ करते हुए आगे के जिंदगी के जंग में अपना भागदारी दर्शाते हुए हर सम्भव भरोसा का उम्मीद दिलाया।मौके पर गुलफराज आलम, तफज्जुल, हुसैन, तौसीफ,जमशेद, गुलज़ार, फ़िरदौस,मिन्हाज इत्यादि उपस्थित रहे।