रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर: झारखंड में 81 विधायक हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में सभी विधायकों ने अपने-अपने स्तर से वैश्विक महामारी से लड़ने का प्रयास किया. इनमें चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुखराम उरांव एक ऐसे विधायक निकले, जिन्होंने कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता को बचाने और सेवा करने में 2 करोड़ 81 लाख रुपए खर्च कर दिए. इनमें से कुछ रकम विधायक कोष और कुछ उनके वेतन मद के थे. राशि देने के अलावे वह स्वयं भी शारीरिक रूप से उपस्थित रहकर जनता की सेवा में लीन रहे. यही कारण है कि भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी की ओर से उन्हें कोरोना योद्धा का सम्मान भी दिया गया.
प्रवासी मजदूरों के खाते में भेजी गये 25 लाख
कोरोना के प्रथम लहर में जब मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंस गए. उनके घर लौटने की उम्मीदें दम तोड़ रही थी. वैसे समय में अपने बैंक अकाउंट से मजदूरों के खाते में 25 लाख रुपए ट्रांसफर किए. बाद में राज्य सरकार ने भी इस तरीके को अपनाया और मजदूरों के खाते में ऐसे भेजे गए.
8 एंबुलेंस की खरीदारी में लगा 1 करोड़ 41 लाख
कोरोना संक्रमित मरीजों को लाने और ले जाने में जब वाहनों की कमी महसूस होने लगी तो विधायक श्री उरांव ने चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए आठ एंबुलेंस खरीद डाले. पहली लहर में चार और दूसरी लहर में चार एंबुलेंस खरीदे गए. चार एंबुलेंस विधानसभा क्षेत्र के 4 थानों को सौंपा गया और 4 सामाजिक संस्थाओं के ज़िम्मे दिए गए. एंबुलेंस का लाभ भी मरीजों को मिला.पहले चार एंबुलेंस 89 लाख और दूसरे चार एंबुलेंस 52 लाख में खरीदे गए. 1 करोड़ 41 लाख रुपए एंबुलेंस में लगे.
10 लाख के सेनीटाइजर एवं मास्क खरीदे गये
प्रथम लहर के दौरान जब मास्क और सैनिटाइजर की कमी महसूस की जाने लगी तो श्री उरांव ने 10 लाख रुपये जिला प्रशासन को दिए. उक्त राशि से मास्क एवं सैनिटाइजर की खरीदारी कर स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को सौंपा गया. इससे संसाधन के अभाव में चल रहा सरकारी अस्पतालों को काफी फायदा पहुंचा.
प्रवासी मजदूरों के भोजन में 80 लाख खर्च किए
पहली लहर के दौरान जब दूसरे प्रदेशों से प्रवासी मजदूर चक्रधरपुर पहुंचने लगे तो उन्हें चक्रधरपुर शहर के 5 सेंटरों में रखा गया तथा ग्रामीण क्षेत्र के सभी 23 पंचायतों में सेंटर बनाकर उन्हें रोका गया. इन सेंटरों में विधायक श्री उरांव की ओर से डेढ़ माह तक तीन वक्त का भोजन की व्यवस्था की गई. शहर के सेंटरों में पका हुआ भोजन परोसा गया, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के सेंटरों में राशन की आपूर्ति की गई. इसमें 80 लाख रुपये विधायक के निजी कोष से खर्च हुए. गांव में हर दिन 15 क्विंटल चावल भेजे जाते थे और शहरों में नॉन वेज भोजन परोसा जाता था.
डेढ़ लाख की मुफ्त दवा मिली गरीबों को
कोविड-19 प्रथम लहर में जब गरीबों के पास अनाज की कमी हो रही थी तो दवाई खरीदना मुश्किल हो रहा था. विधायक सुखराम उरांव ने अपने विधानसभा क्षेत्र के तीन मेडिकल स्टोरों में 50-50 हज़ार रुपए दिए और फिर डॉक्टर की पर्ची दिखाने पर गरीबों को मेडिकल स्टोरों से मुफ्त में दवाएं दी जाने लगी. इससे गरीब, जो संक्रमित थे, उन्हें खासा फायदा हुआ.
5 लाख के ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया
कोरोना काल के दूसरी लहर के प्रारंभ में जब ऑक्सीजन की कमी से लोग मौत के गाल में समा रहे थे. वैसे समय में विधायक श्री उरांव ने 5 लाख रुपये जिला प्रशासन को दिए और ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया.
सरकारी अस्पताल की दशा बदलने का किया प्रयास
कोविड-19 में जब निजी अस्पताल और चिकित्सकों ने सेवा करना बंद कर दिया, तो अंतिम सहारा सरकारी अस्पताल ही बचा. चक्रधरपुर का अनुमंडल अस्पताल सुविधाओं से महरूम था. विधायक की ओर से अस्पताल में सैनिटाइजर और मास्क मुहैया कराए गए. 15 लाख देकर दांत जांच करने की मशीन दी गई. डेढ़ लाख खर्च कर कोरोना वायरस जांच के लिए एक प्रयोगशाला बनाया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर कोरोना वायरस जांच के लिए दो ट्रूनेट मशीन उपलब्ध करायी गयी. इन सुविधाओं के बाद जांच की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ी.
संक्रमित लोगों की सेवा में रहे लीन
कोविड-19 बीमारी से ठीक हो कर घर जाने वाले मरीजों को विधायक ने अपने स्तर से कीट मुहैया कराया. जिसमें विटामिन की दवा, ड्राई फ्रूट्स, हॉर्लिक्स और खाने-पीने के अन्य सामान दिए गये. कोविड-19 की दूसरी लहर में जब लोग एक दूसरे की मदद से गुरेज करने लगे तो श्री उरांव ने स्वयं संक्रमित परिवारों के घरों में जा कर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया. विधायक ने इसके लिए दो लाख रुपये निजी तौर पर खर्च किए.
कोरोना काल के खर्चों का ब्यौरा एक नजर में
कोरोना की पहली लहर में खर्च
1. प्रवासी मजदूरों के खाते में भेजी गई राशि : 25 लाख
2. चार एंबुलेंस की खरीदारी : 89 लाख
3. सेनीटाइजर एवं मास्क की खरीदारी : 10 लाख
4. दंत जांच मशीन की खरीदारी : 15 लाख
5. क्वारंटाइन सेंटरों में डेढ़ माह भोजन का खर्च : 80 लाख
6. मुफ्त दवा में खर्च : 1.5 लाख
कोरोना की दूसरी लहर में खर्च
1. चार एंबुलेंस की खरीदारी : 52 लाख
2. ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदारी : 5 लाख
3. कोरोना जांच लैब : 1.5 लाख
4. खाद्य सामग्री किट : 1.5 लाख
5. हेल्थ किट : 50 हजार