कटकमसांडी से रविन्द्र कुमार की रिपोर्ट
कटकमसांडी: प्रखंड के विभिन्न गांवो मे गुरूवार को सुहागिन महिलाएं ने अखंड सौभाग्य ,संतान प्राप्ति और अपने पति की लम्बी आयु के लिए वट सबित्री की पूजा अर्चना किया। हिन्दू पंचांग के अनुसार वट साबित्री व्रत जेष्ट मास के कृष्ष पक्ष की आमावश्या को किया जाता है।इस तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु,अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती है।इस तिथि को महिलाए व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा एवं सूत का धागा को वट वृक्ष मे घेरा बनाने के लिए परिक्रमा करती है। इस दौरान पूजा अर्चना कर सुहागिन महिलाएं पंडिते पुरोहितो से वट सबित्री पूजा व सत्यान व साबित्री की कथा का अनुश्रवण करती है।घर जाकर सुहागिन महिलाएं अपने पति को ताड के पंखे से पंखे डोला कर सेवा करती है। मान्यता है कि वट वृक्ष में ही सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओ के घेरे मे सुरक्षित रखा था, जिससे कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके।इस लिए वट साबित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती है।ऐसा भी माना जाता है कि बरगद के वृक्ष मे भगवान ब्रम्हा,विष्णु और महेश तीनो का वास होता है।कोरोना वैश्विक महामारी से बचने के लिए गुरूवार को प्रखंड के कई गांव व शहरो मे सुहागिन महिलाएं ने बरगद का तना घर मे लाकर उसे गमला व बालटी मे मिट्री भरकर वट साबित्री की पूजा अर्चना की।दर्जनो सुहागिन महिलाएं व नई नवेली दुल्हनो बताया कि वह अखंड सौभाग्य,संतान प्राप्ति एवं पति की लंबी आयु के लिए वट सबित्री की पूजा की।जिस प्रकार साबित्री ने अपने विश्वास पर पति सत्यवान का प्राण यमराज ये वापस ले लिया था,उसी प्रकार आज हमसब अपने पति की लंबी आयु के लिए साक्षात बरगद वृक्ष मे निवास करने वाले भगवान ब्रम्हा,विष्णु एवं महेश की पूजा कर रहे हैं।