कार्यप्रणाली पर उठा रहा सवाल
कुंदा(चतरा)अजीत कुमार यादव। जिले के अति उग्रवाद प्रभावित कुंदा प्रखंड मुख्यालय स्थित डॉक्टर विहीन स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही 15 मार्च को उजागर हुई। अक्सर रोगियों को स्वास्थ्य केंद्र में दवा उपलब्ध ना होने की बात करते हुए दूसरे अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे लोगों को रेफर किया जाता था। वहीं प्रखंड मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर संचालित कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के समीप भारी मात्रा में जीवन रक्षक मालाडी, लोटेस ई 50, रेमसिस पटिनोल के साथ ओआरएस घोल समेत बच्चों को दी जाने वाली ड्रॉप आदि एक्सपायरी दवाईयां फेकी हुई मिली। सरकारी एक्सपायरी दवाईयां झाड़ियों में मिलने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आम लोगों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में जब आमलोगों को दवाओं की अनुपलब्धता बताकर नहीं दी जाती थी, तो कैसे हो गई इतने बड़े पैमाने पर एक्सपायर। इस संदर्भ में जब चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर अरुणोदय कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया की इतनी सारी दवाइयां कुंदा स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध नहीं थी, कहीं दूसरे स्थान से लाकर फेंकी गई लगती है। वहीं रखे-रखे भारी मात्रा में दवाओं का एक्सपायर हो जाना स्वास्थ्य व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। चिकित्सकीय जानकारों के अनुसार अस्पताल में दवाओं का एक्सपायर होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, एक्सपायर दवाओं को प्रक्रिया पूरी करते हुए डिस्पोज किया जाता है, उसके लिए अस्पताल की तीन सदस्यीय रदीकरण समिति गठित की जाती है और समिति एक्सपायर हुई दवाओं को सूचीबद्ध कर उसे डिस्पोज करने का लिखित प्रस्ताव पारित करती है। लेकिन ऐसा नही कर संबंधित कर्मी दवा को झाड़ी में फेक कर अपने नाकामी पर पर्दा डालने का प्रयास किया है।