कोडरमा। लॉकडाउन की अवधि जैसे जैसे समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, वैसे वैसे ही प्रशासन के गलत रवैये से आम जनता नाराज दिख रही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान कि अपने चेहरे को हमेशा ढक कर रखें, के बाद जिला प्रशासन मुस्तैद हो गई। जिसके पश्चात जिले के उपायुक्त रमेश घोलप ने आदेश जारी करते हुए कहा कि बिना मास्क पहने घूमने वालों के ऊपर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इस आदेश के जारी होते ही प्रशासन इतनी ज्यादा मुस्तैद हो गई कि बिना मास्क लगाए किसी भी आने जाने वाले लोगो को चेतावनी न देते हुए सीधे डंडे बरसाना शुरू कर दिया। इसकी गाथा सुनाते हुए ताराटांड़ निवासी दरोगी श्रीवास्तव ने बताया कि आज सुबह जब वे अपने दुकान जो कि खुदरा पट्टी में है के बाहर पानी से अपना मुंह धो रहे थे इतने में ही नगर परिषद के सिटी मैनेजर शुभम बाबा व उनके साथ 2-3 पुलिसकर्मी वहां पर पहुंचे और चेहरे पर मास्क न होने की वजह से बिना कुछ बोले डंडे बरसाना शुरू कर दिया। इस दरमियान उनका बाँया हाथ लहूलुहान हो गया और जांच के पश्चात मालूम हुआ की वह टूट गया है। उन्होने बताया कि पूरे परिवार की जिम्मेवारी उन्हीं के कंधों पर है। अब ऐसे में वे किस प्रकार से अपना इलाज करवाएंगे और किस प्रकार से घर चलेगा। उस दौरान वहां मौजूद अन्य दुकानदारों व अन्य पब्लिक पर भी डंडे बरसाए गए। जिससे नाराज होकर वहां के लोगों ने पुलिस के खिलाफ जम कर नारेबाजियाँ की। इससे पूर्व शनिवार की शाम को अपने बच्चे के लिए दूध लेने आए एक व्यक्ति को भी पुलिस ने इतनी बेरहमी से पीटा की उसके हाथ में सूजन हो गया। इधर रविवार को एक युवक जिनके पिता ठेले पर फल बेचते हैं, उनके लिए नाश्ता लेकर जा रहा था तो उक्त सीटी मैनेजर ने उसे अपने पास बुलाकर बिना कुछ पूछे ही दर्जनों लाठियाँ बरसा दीं। जिससे उसके पीठ पर काफी चोटें आईं हैं। वहीं प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो प्रशासन द्वारा इतनी निर्दयतापूर्वक पिटाई की जा रही है जैसे कि लोग जानवरों को पीट रहे हों। पिटाई के दौरान प्रशासन यह भी नहीं देखती की कौन बीमार है, अपाहिज है, महिला है या बच्चा है बस डंडे बरसाना शुरू कर देती है। अब सवाल यह है कि जिन्हें हम कोरोना वारियर्स कह कर उनका सम्मान करते हैं, उनका यह रूप देखकर घृणा भी होती है। क्या आम नागरिक घरों से निकलकर सामान लाने जाते हैं तो वे अपराधी है जो प्रशासन यह रवैया अपना रही है।