खूंटी: खूंटी जिले के रनिया प्रखंड के बलंकेल ग्राम के पाँच मजदूर गांव घर और अपने प्रदेश से काम के अभाव में चीन सीमा से सटे चमोली में मजदूरी करने निकले थे और ग्लेशियर के टूटने से खूंटी जिले के पांच मजदूर हताहत हुए। इस हादसे में जान गवांए लोगों के पार्थिव शरीर कल शाम ही खूंटी पहुंचा था लेकिन देर शाम होने के कारण कल दफन प्रक्रिया नहीं की गई।
मृतक मजदूरों के शव आने के इंतजार में पूरा का पूरा गांव गमगीन था। गांव में सन्नाटा पसरा था। लोग स्थानीय सरकार के रोजगार पर सवाल भी उठा रहे थे कि राज्य सरकार बेरोजगारों के लिए यदि यहां रोजगार उपलब्ध कराती तो सुदूर ग्रामीण इलाके के मजदूरों को परदेश में अपनी जान गंवानी नहीं पड़ती।
रोजी रोजगार की तलाश में खूंटी रनियां के मजदूर अपने गांव घर और राज्य से बाहर चले गए थे। जिन मजदूरों के कंधों पर पूरे परिवार का बोझ था आज उन्हीं 7 मजदूरों के पार्थिव शरीर को गांव के लोगों ने कंधा दिया और लगातार 4 दिनों से शव के आने का इंतजार समाप्त हुआ। जिस गांव की मिट्टी में जन्मे थे उसी गांव की मिट्टी में सदा सदा के लिए सातों मजदूरों को अपने पूर्वजों की संगति में अनंतकाल के लिए चिरशांति में दफनाया गया।
एक मृतक मजदूर सुरन कंडुलना की पत्नी गर्भवती है और उसके परिवार में कोई भी सदस्य नहीं है। सुरन कंडुलना एकलौता बेटा था।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा लगातार शीर्ष नेतृत्व से बातचीत कर जल्द मजदूरों के शव गांव पहुंचाने के लिए प्रयासरत थे। दूरभाष के माध्यम से केंद्रीय मंत्री ने मृतक परिजनों से बातें भी की। केंद्रीय मंत्री ने मृतक के परिजनों से यथाशीघ्र उनके पार्थिव शरीर को गांव लाने का आश्वासन दिया था।