बरगद पेड़ के नीचे की पूजा
चतरा/कुंदा/इटखोरी/प्रतापपुर/कान्हाचट्टी। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बेहद विशेष है। सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। पूजा की महत्ता के कारण कोरोना पर भारी पड़ा वट सावित्री पूजा का उत्साह और गुरुवार को चतरा जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंड क्षेत्रों में सुबह से ही सुहागिनों ने स्नान कर दुल्हन की तरह सजकर थाली में विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री के साथ हाथ पंखा आदि लेकर बरगद पेड़ के नीचे पहुंचकर पूजा कीं और पति की दीर्घायु की कामना की। धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि इस व्रत के करने से अल्पायु पति भी दीघार्यु हो जाते हैं। जिले के गिद्धौर, कुंदा, पत्थलगडा, प्रतापपुर अािद प्रखंडों में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी विवाहित महिलाएं नए वस्त्र पहनकर बांस का पंखा, पांच प्रकार के पकवान, मौसमी फल, अरवा चावल आदि से वट-वृक्ष की पूजा कर अपने-अपने अखंड सुहाग के लिए वृक्ष में धागा भी बांधी। इस दौरान एक दूसरे को सिंदूर लगाकर पति की दीर्घायु के लिए आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि सावित्री अपने पति सत्यवान की लंबी आयु के लिए बरगद पेड़ की पूजा करती थी और पति की मृत्यु के बाद भी वापस जिदा करा लिया। पूजारी मुकेश पांडेय ने बताया कि धर्मशास्त्र में ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रहमा, तने में भगवान विष्णु व शाखा एवं पत्तों में भगवान शंकर विराजमान रहते हैं। सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है।