बसंत कुमार गुप्ता
गुमला। पंचायती राज संस्थाओं को गांव के विकास के लिए केंद्र एवं राज्य की सरकार के द्वारा राशि का आवंटन किया गया है लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायती राज के जनप्रतिनिधि मुखिया एवं पंचायत सचिव की मिलीभगत से सरकारी राशि के गबन एवं गड़बड़ी किए जाने की शिकायतें गुमला जिले में वर्षों से मिलती रही है लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुआ है। इधर पिछले 2 वर्षों से कोरोना लॉक डाउन होने के बाद भ्रष्टाचार के मुद्दे कौन हो गए हैं।शौचालय निर्माण में लाखों करोड़ों रुपए की गड़बड़ी गुमला जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों में हुई है लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुआ है जिसके कारण दोषियों पर कोई भी कार्रवाई आज तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है और राशि के गड़बड़ी करने वाले पंचायती राज के जनप्रतिनिधि मुखिया एवं पेयजल एवं स्वच्छता समिति के पदाधिकारी गण भ्रष्टाचार को अंजाम देने के बाद भी सही सलामत कार्य कर रहे हैं। गौरतलब है कि गुमला जिले में शौचालय निर्माण के कार्य में जमकर गड़बड़ी एवं कार्य से अधिक राशि की निकासी के मामले में कई लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई इसके साथ ही कई लोगों को राशि वापसी की कार्रवाई भी सुनिश्चित की गई लेकिन घड़ी बड़ी करने वाले जनप्रतिनिधियों के ऊपर किसी भी प्रकार का कानूनी कार्रवाई अभी तक तो नहीं हो सका है जिसके कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने एवं गड़बड़ी करने वाले जनप्रतिनिधि आम जनों को सुविधा मुहैया कराने के बगैर बजाएं अपने सुख सुविधाओं को तरजीह दे रहे हैं। यहां बताते चलें कि पंचायती राज के जनप्रतिनिधि मुखिया को सरकार के द्वारा ₹1000 प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिए जाने का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है लेकिन पंचायती राज से चुनाव जीतकर आए जनप्रतिनिधि मुखिया लाखों करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं।जानकार सूत्र के लोगों का कहना है कि जब जनप्रतिनिधि मुखिया का मानदेय प्रतिमाह ₹1000 है। ऐसी स्थिति में उनकी संपत्ति लाखों-करोड़ों में हो जाना भ्रष्टाचार को दृष्टिगोचर कर रहा है। शौचालय निर्माण में घपला घोटाला की शिकायत सबसे अधिक गुमला प्रखंड क्षेत्र के पंचायतों में देखने को मिले, कई पंचायतों में पुराने शौचालयों का रंग रोगन कर पैसे की निकासी कर लिए गए। वहीं कई पंचायतों में सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के विरुद्ध अनियमित तरीके से शौचालय का निर्माण कर दिया गया है जिसके कारण लोगों के द्वारा शौचालय का उपयोग भी नहीं की जा रही है।वहीं कई पंचायतों में शौचालय निर्माण का कार्य आधे अधूरे छोड़ दिए गए हैं और पैसे की निकासी बंदरबांट कर ली गई है। इसी प्रकार के मामले पेयजल आपूर्ति के लिए लगाए गए पानी टंकी जल मीनार के निर्माण कार्य में भी गड़बड़ी हुई है। कई पंचायतों में सरकार के मानव के विरोध घटिया स्तर के पानी टंकी जल मीनार की स्थापना की गई है। जो कि थोड़े ही समय के बाद खराब हो गए हैं जिनकी मरम्मत की भी करने वाला कोई नहीं है।