गुमला: झारखंड मुक्ति मोर्चा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष अफसर आलम ने एक प्रेस बयान जारी कर झारखंड राज्य के माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मांग किया है कि गुमला जिला एक आदिवासी तथा पिछड़ा जिला है और शहर में एक भारी-भरकम कई एकड़ में फैला सदर अस्पताल भी है उक्त सदर अस्पताल का इमारत शानदार लेकिन सदर अस्पताल इलाज कराने के लिए दूर से दूर ग्रामीण तथा प्रखंडों से जब मरीज आते हैं तो उन्हें इलाज कराने में कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है एक तरफ सदर अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टरों का सिर्फ खानापूर्ति किया जा रहा है सदर अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टरों द्वारा बिना कोई बेखौफ के अपना निजी क्लीनिक और दवा दुकान खोलकर गरीब जनता का शोषण और दोहन किया जा रहा है सदर अस्पताल के ठीक सामने और बगल में दर्जन से भी अधिक दवा दुकानें और private clinic खोल रखा गया है जबकि सरकार के मापदंड के अनुसार सरकारी अस्पताल के समीप निजी दवा दुकान और क्लीनिक तथा जांच घर का कुछ मापदंड रखा गया है लेकिन गुमला में उन सभी मापदंडों का माखौल उड़ाया जा रहा है और यह डॉक्टर जिन्हें भगवान का अवतार समझा जाता है गरीब मरीजों का इलाज के लिए निजी अपने क्लीनिक में ले जाकर दोहन कर रहे हैं कॉमेडी 19 के मौके पर भी आम नागरिकों को इलाज कराने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जबकि सदर अस्पताल बिल्कुल बगल में उपायुक्त gumla का कार्यालय है समय रहते अगर इस तरह के गोरखधंधे पर लगाम नहीं लगाए गए तो मजबूर होकर राजनीतिक तथा समाजसेवी द्वारा इसका जोरदार विरोध देखने को मिल सकते हैं ज्ञात हो कि सदर अस्पताल के कुछ ही दूरी पर एक निजी अस्पताल care advance multi specialist hospital संचालित है उक्त हॉस्पिटल के संचालक तथा मालिक डॉक्टर सौरभ प्रसाद है जो सदर अस्पताल में कई वर्षों से पदस्थापित और अपना एक खुद का भव्य क्लीनिक खोल कर चला रहे हैं इतना ही नहीं सदर अस्पताल के इर्द-गिर्द इनके दलाल घूमते रहते हैं और भोले भाले गरीब मजबूर असहाय परेशान हाल मरीजों तथा उनके परिजनों को अच्छा इलाज के नाम पर उक्त निजी क्लीनिक में जाने को विवश करते हैं और इलाज के नाम पर तथा जांच के नाम पर गरीबों का हजारों रुपए कल लूट किया जा रहा है डॉक्टर सौरभ प्रसाद के क्रियाकलाप से संबंधित कई तरह के समाचार छप चुके हैं उच्च अधिकारियों को को भी लिखा जा चुका है लेकिन इनका असर और रसूख इतना है कि इन पर किसी तरह का कोई करवाई नहीं होती है उल्टा समाजसेवियों को भी कुछ नहीं समझते और अपने निजी क्लीनिक में गरीबों को लूटने का काम इलाज के नाम पर करते चले जा रहे हैं gumla में और भी कई ऐसे डॉक्टर और क्लीनिक जांच केंद्र अवैध तरीके से चलाए जा रहे हैं वैसे सभी अवैध संचालित प्रतिष्ठानों पर उचित कार्रवाई की आवश्यकता है