बरही से बिपिन बिहारी पाण्डेय
बरही (हजारीबाग): पहाड़ों के बीच बसा बरही के आदिवासी बहुल दौरवा – कुंडवा में ऐतिहासिक आदिवासी जतरा मेला एकादशी को धूमधाम के साथ मनाई गई। जतरा मेला का कार्यक्रम पाहन पूजा के साथ प्रारंभ हुआ। मौके पर वन देवी देवताओं का पूजन किया गया। इस जतरा मेला में आदिवासी समाज से जुड़े श्रद्धालुओं ने परम्परागत वेशभूषा में रंगा रंग पारंपरिक नृत्य पेश कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अतिथियों ने दीप जलाकर मेला का उद्घाटन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि रिटायर्ड रेंजर दिलीप एक्का व पूर्व मुखिया वीणा उरांव ने कहा कि जतरा जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से ही ऐसी परंपरा व संस्कृति जीवंत रहता है। आयोजन समिति ने मांदर की थाप और आदिवासी परंपरा का प्रतीक टोपी, माला पहन व तीर धनुष देकर कर अतिथियों का स्वागत किया।
1950 से हो किया जा रहा है आयोजन : दौरवा में जतरा मेला का इतिहास काफी पुराना है। आयोजकों ने बताया कि यहां जतरा का प्रारंभ 1950 किया गया था। आयोजन स्थल पर मेला में हजारों लोग आते हैं। मेले का यह 71 वां वर्ष है। मेले में विभिन्न जिलों के लोग जुड़ते हैं और एक दूसरे से मिलते हैं। लोग शादी के लिए वर वधू भी तलाश भी करते हैं। हालांकि इस वर्ष कार्यक्रम का आयोजन कोरोना काल एवं कोविड नियमों का पालन करते हुए काफी सादगी के साथ किया गया। किन्तु श्रद्धा और उत्साह में कमी नहीं रही। मंच पर मुख्य रूप से सेवानिवृत रेजर दिलीप एक्का, बीना उरवां, जिप प्रतिनिधि गणेश यादव, संजय साव, खीरु यादव, पूजा समिति के अध्यक्ष मगदली बाड़ा, सचिव शिलमनी बेक, कोषाध्यक्ष अनीता कुजूर एवं महेंद्र एक्का,अशोक बाड़ा, पूनम कच्छप, सुनीता टोप्पो ममता टोप्पो, अनीता कुजूर सीमा उरांव, मंगल टोप्पो, अशोक बाड़ा, बासुदेव उरांव, महेंद्र एक्का, महादेव बाड़ा, रंजीत मिंज, अर्जुन टोप्पो, सूरज टोप्पो समेत कई लोग मौजूद थे।