बोकारो से जय सिन्हा
बोकारो: कहते है अगर लगन हो तो इंसान फतह हासिल कर ही लेता है, ऐसी ही है बोकारो जनरल अस्पताल की डॉक्टर तृप्ति चंद्रा बोकारो इस्पात संयत्र की उन चंद रत्नो में शुमार है, जिन्होंने अपने हिम्मत और जज्बे से कुछ अनोखा कर दिखाया है। दो बच्चो की माँ, डॉ चंद्रा, ने 12500 फीट ऊँचे केदारकंठ को फतह किया। यह सफर जितना रोमांचक था उतना ही खतरों से भरा भी।
उनके इस अभियान की खास बात यह भी थी की इसका नेतृत्व माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेन्द्री पाल ने किया था। भीषण बारिश और बर्फबारी के बीच टाटा स्टील और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के कर्मचारियों की 21 सदस्यीय महिला टीम ने उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय रेंज में केदारकंठ (12500 फीट) की चोटी पर पहुंच झंडा लहराया था।
बोकारो इस्पात संयत्र या कहे बोकारो ज़िले की डॉक्टर तृप्ति चंद्रा पहली महिला है, जिन्होंने केदारकंठ की चोटी पर पहुंचने का अपना सपना पूरा किया। आज सोमवार को बीजीएच के अधिशासी निदेशक डॉ ए के सिंह ने डीसीएमओ डॉ तृप्ति चंद्रा को विगत वर्ष ट्रेकिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विगत 8 मार्च को टीएसएऍफ़ एवं सेल द्वारा आयोजित आउटबाउंड लीडरशिप कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमे डॉ तृप्ति चंद्रा भी थी। इस टीम में विशेष रूप से कामकाजी महिलाये थी। डॉक्टर तृप्ति चंद्रा ने बोकारो इस्पात संयत्र को रिप्रेजेंट किया था। बता दे डॉक्टर तृप्ति चंद्रा बीजीएच के डेंटल विभाग की हेड है।
उनका घर सेक्टर-4 में है। उनके पति शिवम् त्रिपाठी डेंटिस्ट है। दो छोटे बच्चो की माँ होने के बावजूद डॉक्टर चंद्रा ने जिस जज्बे से साथ इतनी कठिन चढ़ाई चढ़ी उसको लोगो ने काफी सराहा। उनके पति और बच्चे उनकी हिम्मत बने। डॉक्टर चंद्रा ने बताया की केदारकांठा ट्रेक वह सब कुछ है जिसके बारे में एक ट्रेकर सपना देख सकता है; प्राचीन पहाड़ी झीलें, समृद्ध वनस्पतियां, गढ़वाल की रोमांचक पहाड़ी पगडंडियां, भयानक शिविर, पहाड़ी गांवों का शांतिपूर्ण माहौल और पहाड़ के लोगों की विशिष्ट संस्कृति की एक झलक इसे मस्ती और रोमांच का एक संपूर्ण पैकेज बनाती है।
टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) द्वारा आयोजित उस अभियान का नेतृत्व टीएसएएफ की मेंटर बछेंद्री पाल ने किया था।