रांची: झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के महासचिव अमीन अहमद ने विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की उर्दू एक समृद् और मीठी भाषा ही नहीं बल्कि दो दिलों को जोड़ने वाली प्रेम और अनुराग की भाषा है उर्दू गंगा जमुनी तहजीब का भी नाम है भारत की जंगे आजादी में उर्दू भाषा के प्रेमियों ने अंग्रेजो के खिलाफ जोरदार अपने लेखनी अपने कवियों के माध्यम से भारतीयों के दिलों में देश प्रेम का जज्बा भरने का कार्य किया जिसके चलते हजारों की संख्या में मदरसा के उलेमाओं उर्दू कवियों उर्दू लेखकों को शहादत का जाम पीना पड़ा।
झारखंड का बिहार से अलग हुए 20 वर्ष का समय बीत चुका है उसके बावजूद भी उर्दू को वह स्थान नहीं दिया जा सका है जो उसे मिलना था उर्दू के विकास के लिए सिर्फ सरकार पर दोषारोपण कर उर्दू का विकास नहीं किया जा सकता इसके लिए उर्दू भाषी छात्र-छात्राओं शिक्षकों बुद्धिजीवियों शायरों लेखकों को आगे आने की आवश्यकता उर्दू के विकास के लिए सबसे पहले उर्दू भाषी को अपने आने वाले नई नस्लों को उर्दू लिखना पढ़ना सिखाना होगा इसके लिए जमीनी सतह पर कार्य करने की आवश्यकता है
उर्दू के बदहाली के लिए 20 वर्षों तक जिनकी भी सरकार झारखंड में रही है सभी ने उर्दू भाषा के विकास के लिए सौतेला व्यवहार किया है जिसके चलते हजारों नहीं लाखों की संख्या में उर्दू भाषी छात्र छात्राओं को मजबूरन अन्य भाषा पढ़ना पढ़ रहा है लंबे समय से एक सोची समझी साजिश लालफीताशाही के तरफ से झारखंड राज्य में रच दिया गया है जिसके चलते प्राइमरी स्तर से लेकर पीजी स्तर के शिक्षकों का बहाली अवरुद्ध कर दिया गया है जिसके चलते उर्दू भाषी मजबूरन उर्दू छोड़ रहे हैं
वही उर्दू के नाम पर जितने शिक्षक और शिक्षिका पहले से बहाल है उनके तरफ से भी भारी कोताही उर्दू भाषा के विकास में बरती गई है। लेकिन झारखंड की धरती पर देर से ही लेकिन आज एक मजबूत और सशक्त संस्था झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ का गठन के साथ ही साथ संस्था का निबंधन भी कराया जा चुका है हमारा संगठन का विस्तार झारखंड के 15 जिला में किया जा चुका है और बहुत कम समय में उर्दू भाषा उर्दू शिक्षक से संबंधित कई महत्वपूर्ण कार्य झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के तरफ से किया जा चुका है जिसको देख उर्दू छात्र-छात्राओं और उर्दू प्रेमियों को संघ के क्रियाकलाप से एक नई उम्मीद की किरण दिखाई पड़ रही है हमारे संघ के पदाधिकारी झारखंड के सभी जिलों में जोरदार जनसंपर्क अभियान चला रखे हैं और संघ के तरफ से पूरे झारखंड के प्राइमरी स्तर से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक के पढ़ाई जाने वाली संस्थानों में क्या कहां कमी है इन सारी बातों का डाटा एकत्रित किया जा रहा है बहुत जल्द हमारे संग उस डाटा के बेस पर झारखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा अन्य प्रतिपक्ष के नेताओं मंत्रियों से मिलकर उर्दू के विकास के लिए उर्दू के समस्या के निराकरण के लिए ठोस हल निकाला जाएगा ताकि जो हमें संविधानिक अधिकार भाषा और विकास के लिए प्रदान किया गया है उसकासबसे पहले मैं विश्व उर्दू दिवस 9 नवम्बर के मौके पर दैनिक समाचार पत्र झारखंड के नामी-गिरामी प्रभात खबर समूह को झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के जानिब से ढेर सारी शुभकामनाएं और आभार प्रकट करता हूं।
झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के महासचिव अमीन अहमद ने विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की उर्दू एक समृद् और मीठी भाषा ही नहीं बल्कि दो दिलों को जोड़ने वाली प्रेम और अनुराग की भाषा है उर्दू गंगा जमुनी तहजीब का भी नाम है भारत की जंगे आजादी में उर्दू भाषा के प्रेमियों ने अंग्रेजो के खिलाफ जोरदार अपने लेखनी अपने कवियों के माध्यम से भारतीयों के दिलों में देश प्रेम का जज्बा भरने का कार्य किया जिसके चलते हजारों की संख्या में मदरसा के उलेमाओं उर्दू कवियों उर्दू लेखकों को शहादत का जाम पीना पड़ा।
झारखंड का बिहार से अलग हुए 20 वर्ष का समय बीत चुका है उसके बावजूद भी उर्दू को वह स्थान नहीं दिया जा सका है जो उसे मिलना था उर्दू के विकास के लिए सिर्फ सरकार पर दोषारोपण कर उर्दू का विकास नहीं किया जा सकता इसके लिए उर्दू भाषी छात्र-छात्राओं शिक्षकों बुद्धिजीवियों शायरों लेखकों को आगे आने की आवश्यकता उर्दू के विकास के लिए सबसे पहले उर्दू भाषी को अपने आने वाले नई नस्लों को उर्दू लिखना पढ़ना सिखाना होगा इसके लिए जमीनी सतह पर कार्य करने की आवश्यकता है
उर्दू के बदहाली के लिए 20 वर्षों तक जिनकी भी सरकार झारखंड में रही है सभी ने उर्दू भाषा के विकास के लिए सौतेला व्यवहार किया है जिसके चलते हजारों नहीं लाखों की संख्या में उर्दू भाषी छात्र छात्राओं को मजबूरन अन्य भाषा पढ़ना पढ़ रहा है लंबे समय से एक सोची समझी साजिश लालफीताशाही के तरफ से झारखंड राज्य में रच दिया गया है जिसके चलते प्राइमरी स्तर से लेकर पीजी स्तर के शिक्षकों का बहाली अवरुद्ध कर दिया गया है जिसके चलते उर्दू भाषी मजबूरन उर्दू छोड़ रहे हैं
वही उर्दू के नाम पर जितने शिक्षक और शिक्षिका पहले से बहाल है उनके तरफ से भी भारी कोताही उर्दू भाषा के विकास में बरती गई है। लेकिन झारखंड की धरती पर देर से ही लेकिन आज एक मजबूत और सशक्त संस्था झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ का गठन के साथ ही साथ संस्था का निबंधन भी कराया जा चुका है हमारा संगठन का विस्तार झारखंड के 15 जिला में किया जा चुका है और बहुत कम समय में उर्दू भाषा उर्दू शिक्षक से संबंधित कई महत्वपूर्ण कार्य झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के तरफ से किया जा चुका है जिसको देख उर्दू छात्र-छात्राओं और उर्दू प्रेमियों को संघ के क्रियाकलाप से एक नई उम्मीद की किरण दिखाई पड़ रही है हमारे संघ के पदाधिकारी झारखंड के सभी जिलों में जोरदार जनसंपर्क अभियान चला रखे हैं और संघ के तरफ से पूरे झारखंड के प्राइमरी स्तर से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक के पढ़ाई जाने वाली संस्थानों में क्या कहां कमी है इन सारी बातों का डाटा एकत्रित किया जा रहा है बहुत जल्द हमारे संग उस डाटा के बेस पर झारखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तथा अन्य प्रतिपक्ष के नेताओं मंत्रियों से मिलकर उर्दू के विकास के लिए उर्दू के समस्या के निराकरण के लिए ठोस हल निकाला जाएगा ताकि जो हमें संविधानिक अधिकार भाषा और विकास के लिए प्रदान किया गया है उसका हनन ना हो ।