चतरा/इटखोरी। जिले के इटखोरी प्रखंड स्थित प्रसिद्ध सिद्धी पीठ माता भद्रकाली व हंटरगंज प्रखंड के माता कौलेश्वरी मंदिर परिसर सहित विभिन्न स्थानों पर वासंतिक नवरात्र का अनुष्ठान 13 अप्रैल से विधि विधान पूर्वक प्रारंभ हो गया। इसके साथ सिद्ध पीठों में दुर्गा सप्तशती के पाठ भी गुंजायमान होने लगे हैं। दोनो मंदिरों में कोरोना को लेकर सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत नवरात्र के अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि जिले के दोनो सिद्धपीठ में नवरात्र के पावन अवसर पर दूर-दूर से भक्त भारी संख्या में पहुंचते हैं। माता भद्रकाली मंदिर तथा मां कौलेश्वरी मंदिर में नवरात्र के अनुष्ठान को लेकर श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। वासंतिक नवरात्र में कौलेश्वरी पर्वत पर भक्तों की ऐतिहासिक भीड़ होती है। लेकिन कोरोनो काल को लेकर भीड़ में कमी आई है। पहले दिन दोनो मंदिरों में मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई। जबकी नवरात्र में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूप की पूजा होगी। 20 अप्रैल को संध्या नवरात्र की संधि बलि दी जाएगी। 21 अप्रैल को दुर्गा सप्तशती के अंतिम पाठ के उपरांत विधि विधान के साथ नवरात्र में स्थापित कलशों को विसर्जित किया जाएगा। इसके बाद हवन के पश्चात नवरात्र का अनुष्ठान समाप्त होगा। पुजारी सतीश पांडेय उर्फ मंटू बाबा ने बताया कि कि इस बार माता का आगमन अश्व(घोड़ा) पर हुआ है तथा प्रस्थान मानव के कंधे पर होगा।