बरही से बिपिन बिहारी पाण्डेय
बरही (हजारीबाग): जिस प्रकार ईसाई जनवरी की पहली तारीख से तथा मुसलमान मुहर्रम से नव वर्ष का प्रारंभ मानते है,उसी प्रकार हिन्दू विक्रम सवंत को अपने नव वर्ष का प्रारंभ मानते है।यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर बचाने वाला पूण्य दिवस है।
भारतीय नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।इसी प्रतिपदा के दिन उज्जयनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शको से भारत की रक्षा की।महाराज विक्रमादित्य ने आज से 2070 वर्ष पूर्व राष्ट्र को सुसंगठित कर शको के शक्ति को धराशायी करते हुये उसे देश से भगा दिया था और उनके ही मूल स्थान अरव में विजय श्री प्राप्त किया और अपनी विजय ध्वजा फहराई ,उसी के स्मृति में यह प्रतिपदा सवंत के रूप में मनाई जाती है।
इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक के रूप में मनाया गया।यह दिन हि असत्य पर सत्य कि विजय दिलाने वाला दिन है।इसी दिन महाराज युधिष्ठिर का भी राज्याभिषेक हुआ था।हम प्रतिपदा से प्रारंभ के नो दिन बासंतिक नवरात्र कि शुरुवात कर शक्ति संचय करते है, कहा जाता है इसी दिन ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की थी।महर्षि दयानद सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना वर्ष प्रतिपदा को कि थी।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक श्रधेय श्री केशव बलिराम हेडगोवर का जन्म आज के दिन अर्थात नव वर्ष प्रतिपदा को ही हुआ था।