रामगोपाल जेना
चाईबासा :ग्रामीण क्षेत्रों में नगर पर्षद विस्तार के प्रस्ताव का दुम्बीसाई के ग्रामीणों ने कड़ा विरोध जताया है । पूर्व में महामहिम राज्यपाल झारखंड के आदेशानुसार नगर विकास विभाग, झारखंड सरकार के अधिसूचना सं० – 3034 दिनांक 03.09.2011 के तहत रुढ़िजन्य मानकी-मुण्डा पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था को सशक्त बनाए रखने के लिए सदर प्रखंड क्षेत्र के 13 गांवों यथा दुम्बीसाई, सिकुरसाई, खप्परसाई, तमाड़बांध, गितिलपी, मतकमहातु, कमारहातु, गुटुसाई, नरसन्डा, टोन्टो, और डिलियामार्चा को नगर पर्षद क्षेत्र से अलग किया गया है उन गांवों को पुनः नगर पर्षद क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव चाईबासा नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा दिया गया इसी मुद्दे पर आज दिनांक 21 सितंबर 2021को दुम्बीसाई मौजा में मानकी दलपत देवगम के अध्यक्षता में ग्राम सभा का विशेष बैठक आहूत किया गया था । बैठक में उपस्थित ग्रामीणों ने एक सुर में ग्रामीण क्षेत्रों में नगर पर्षद के विस्तार का मुखर विरोध करते हुए कहा कि जल जंगल जमीन सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने की नीयत और ग्रामीण क्षेत्रों में बाहरी आबादी को बसाने की साज़िश के तहत नगर पर्षद विस्तार का प्रस्ताव लाया गया है जो किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है जरुरत पड़ने पर इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन के लिए भी ग्रामीण तैयार हैं । मौजा दुम्बीसाई, कमारहातु, मतकमहातु, गुटूसाई, गितिलपी, तमाड़बान्ध, सिकुरसाई, खप्परसाई, डिलियामार्चा, टोन्टो और नरसन्डा उपरोक्त सभी गांव पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं जहां रुढ़िजन्य पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था ( मानकी- मुंडा व्यवस्था ) लागू है जहां ग्राम सभाएं प्रभावी हैं । उक्त क्षेत्र में पारम्परिक रीति-रिवाजों, सामाजिक व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों यथा जल जंगल जमीन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को विशेष शक्ति प्रदत्त है । ग्राम सभा के माध्यम से विल्किंसन रुल के तहत मानकी मुंडाओं के द्वारा ग्रामीणों को गांव में ही सहज एवं सस्ता न्याय उपलब्ध कराया जाता है तथा न्याय पंच के माध्यम से दीवानी मुकदमों का नि:शुल्क निपटारा कर लोगों को सहज सुलभ और नि:शुल्क न्याय दिया जाता है । गांव के छोटे मोटे झगड़ों एवं विवादों का निपटारा मानकी मुंडा तथा ग्राम सभा के माध्यम से गांव में ही हो जाता है । लोगों को थाना पुलिस या कोर्ट कचहरी का चक्कर काटना नहीं पड़ता है । उक्त गांव अथवा उनके आंशिक भाग को नगर पर्षद क्षेत्र में शामिल करने पर इन गांवों के ग्रामीणों को इस सुविधा से वंचित हो जाएंगे । वर्षों वर्षों से चली आ रही रुढ़िजन्य पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था ( मानकी मुंडा व्यवस्था ) ध्वस्त हो जाएगा । ग्राम सभाओं का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा जिससे पारम्परिक रीति-रिवाजों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाएगा, संरक्षित प्राकृतिक संसाधनों ( जल, जंगल, जमीन ) का सुरक्षा कवच टूट जाएगा । जल, जंगल और जमीन के लूट का दरवाजा खुल जाएगा और बड़े पैमाने पर अनुसूचित क्षेत्र में बाहरी आबादी को बसाने का रास्ता साफ हो जाएगा जिसके कारण आदिवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक रीति-रिवाजों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा । गांव के क्षेत्र में जमीन की मालगुजारी के अलावा ग्रामीणों को और कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ता है वहां म्युनिसिपल एक्ट लागू होने से लोगों पर होल्डिंग टैक्स, बिल्डिंग टैक्स, फुटपाथ टैक्स, बिजली टैक्स, सफाई टैक्स, पानी टैक्स समेत अन्य कई प्रकार के टैक्स का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा । मानकी मुंडा व्यवस्था एवं विल्किंसन रुल के तहत मिलने वाले सहज एवं सस्ते न्याय से लोग वंचित हो जाएंगे । अतः उपरोक्त सारे तथ्यों के मद्देनजर किसी भी दृष्टि से उक्त गांवों को नगर पर्षद में शामिल करना कहीं से भी उचित नहीं है । बैठक में मुखिया गिरीश चंद्र देवगम, सोनाराम देवगम, बंशीधर देवगम, कृष्ण देवगम, माझी देवगम, अभिराम सिंह देवगम, बुटुली देवगम, कश्मीरा देवगम, जुनू देवगम समेत काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे – दलपत देवगम, मानकी सह अध्यक्ष दुम्बीसाई ग्राम सभा ।*