रांची: झारखंड राज्य के 24 जिलों के 105 प्रखंडों के 300 संकुल संगठनों में जेंडर इंटीग्रेशनर (लैंगिक एकीकरण) की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर कार्यशाला होटल कैपिटल हिल सभागार में आयोजित की गई । झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी एवं स्वयंसेवी संस्था ‘प्रदान’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में जेएसएलपीएस के राज्य एवं जिला स्तर के शीर्ष पदाधिकारियों एवं विभिन्न सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों, केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान रांची, आली संस्थान एवं विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा ‘प्रदान’ के प्रतिनिधियों ने भाग लिया । इस अवसर पर GROW pilot के दरम्यान विकसित किये गए 3 प्रशिक्षण पुस्तिकाओं का भी विमोचन किया गया ।
कार्यक्रम में खूंटी और गिरिडीह से आयी दीदियों ने अपने क्षेत्रों में कार्य करने के दौरान संघर्ष की गाथा साझा की। खूंटी की दीदी ने बताया कि किस तरह आज भी गांव में बेटियों के जन्म होने पर भेदभाव कर बेटियों को जन्म लेने के साथ ही मारने की प्रवृति समाज मे जागृत होती है। दीदी ने बताया कि कैसे वो नवजात बेटी को बचाने के लिए अपनी आवाज उठायी और समाज की विकृत मानसिकता को बदलने की पहल की। डायन जैसे मामलों पर खूंटी की दीदियां पंचायत स्तर पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास कर रही हैं। गिरिडीह से आयी दीदी ने भी दहेज मामले के विरुद्ध महिला मंडल की कोशिशों को उजागर किया। बेटा -बेटी को समाज मे समान नजरिए से देखा जाए और सबको समान सम्मान मिले इसके लिए महिला मंडल की दीदियां लगातार बैठकें आयोजित कर ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।
कार्यक्रम में सिमडेगा एवं गिरिडीह जिले में पायलट के रूप में किए गए लैंगिक एकीकरण के कार्यों को शेष जिलों के 300 संकुल संगठनों तक बढ़ाने के तरीके एवं प्रक्रियाओं पर मंथन किया गया । एन एम एम यु से आये प्रतिनिधि उषा रानी ने जोर दिया कि जेएसएलपीएस के अलग-अलग वर्टिकल्स में कैसे लैंगिक एकीकरण किया जा सके । उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जेएसएलपीएस के स्तर पर मानव संसाधन उनकी नीतियों, कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति होने वाले यौन उत्पीड़न POSH एवं शिकायत निवारण प्रक्रियाओं पर जेंडर एकीकरण कैसे किया जा सकता है , सामुदायिक स्तर पर विभिन्न उप समितियों को सशक्त कर महिलाओं की शिकायतों का निवारण कैसे किया जाए । आली संस्थान से आई रेशमा जी ने कहा कि हमें नारीवादी चश्मा अपनाने की जरूरत है तथा महिला मुद्दों से संबंधित सेवाओं को कैसे दुरुस्त किया जा सकता है इस पर एकजुट होकर रणनीति बनाने की आवश्यकता है । राष्ट्रीय मिश्रण प्रबंधन इकाई से आई सीमा भास्करण ने कहा कि यह झारखंड की महिलाओं की सशक्तिकरण की ओर एक पुख्ता कदम उठाए गए हैं परंतु कुपोषण, महिलाओं के निर्णय लेने में भागीदारी, मालिकाना हक दिलाना एवं महिलाओं पर हो रहे हिंसा पर और भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है । विभागीय सहयोग एवं अभिसरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है । प्रशासनिक व्यवस्था को महिलाओं के प्रति और अधिक संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है । इंटर वर्टिकल एवं इन्त्र वर्टिकल में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है । जेएसएलपीएस के अंदरूनी क्रियाकलापों एवं आपसी तालमेल को बढ़ाने की आवश्यकता है । जेएसएलपीएस के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी विष्णु परिदा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहल राज्य भर में महिलाओं की सामाजिक स्थिति को मजबूत बनाने में मदद करेगी । जेएसएलपीएस एवं ‘प्रदान’ संस्था के संयुक्त प्रयास से महिलाओं के विकास में प्रमुख भूमिका होगी। इस अवसर पर पूर्णिमा मुखर्जी, प्रदान के मधु खेतान, सर्बानी बोस, मौसमी सरकार , मनोज, इंद्रानील सहित सुदूरवर्ती गाँव से आयी महिलाएं शामिल हुईं।