रांची: आज डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर के द्वारा हाउ टू स्टडी लैंग्वेज विषय पर न्यू एकेडमिक बिल्डिंग के सेमिनार हॉल में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
इस व्याख्यान सह कार्यशाला के रिसोर्स पर्सन के तौर पर डोरंडा महाविद्यालय, रांची के प्राचार्य डॉ0 राजकुमार शर्मा आमंत्रित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि आज भाषा और साहित्य के विद्यार्थियों के साथ सबसे बड़ी समस्या पुस्तकों का न्यूनतम अध्ययन और अच्छी लेखन शैली का अभाव है।
उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें रोजाना समाचार पत्रों को पढ़ने के साथ शुद्ध लिखने की कला को आत्मसात करना चाहिए। नियमित रूप से अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से शब्दकोश का संग्रह होता है। आगे अपने संबोधन में उन्होंने कहा की शुरुआत में छोटे वाक्यों से लेखन की शुरुआत करते हुए सटीक लिखने की कला विकसित की जा सकती है। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। हमारे बोलने और लिखने में व्याकरण का सही बोध दिखना चाहिए, तब वह सही अर्थों में प्रभावशाली भाषा दृष्टिगत होती है।
उन्होंने विद्यार्थियों को एक अच्छे श्रोता बनने की सलाह दी। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हमें किसी भी विषय विशेषज्ञ की बातों को सुनने के उपरांत संबंधित विषय पर संवाद करने की क्षमता होनी चाहिए। मुख्य वक्ता के रूप में कत राजकुमार शर्मा ने कहा कि मनुष्य जन्म लेते ही भाषा का प्रयोग शुरू कर देता है।
उन्होंने रेने डेसकार्टेस को उद्धृत करते हुए कहा, श्श्मैं सोचता हूं, इसलिए मैं हूंश्श् यह दो प्रकार का है- इंटीग्रेटिव और इंस्ट्रुमेंटल। एकात्म श्जीवन किसी के अस्तित्व का माप हैश्। अंग्रेजी भाषा विश्व की एक सामान्य भाषा है और यह एक संपर्क भाषा के तौर पर काम करती है.
उन्होंने किसी के भी व्यक्ति विशेष के आत्मविश्वास और क्षमता के बीच को एक बड़ा अंतर बताया। उन्होंने कहा की सामान्यतः ऐसा देखा जाता है कि उत्तर भारत के लोगों में अंग्रेजी भाषा बोलने में आत्मविश्वास की कमी होती है जबकि यह स्पष्ट है कि उनमें योग्यता की कोई कमी नहीं है. उन्होंने विद्यार्थियों को शब्दकोश के प्रयोग के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। इस संदर्भ में उन्होंने शब्दकोश के कुछ घटकों का भी उल्लेख किया।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर की समन्वयक कत पीयूषबाला ने स्वागत भाषण के साथ विषय प्रवेश कराया। उन्होंने इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में कत रजनी, प्रो राजेश कुमार सिंह, कत शुचि संतोष बरवार के साथ ईएलएल विभाग के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।