रामगढ़ से वली उल्लाह की रिपोर्ट
रामगढ़: उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी रामगढ़ चंदन कुमार के न्यायालय में झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम 2002 के तहत वैसे अपराधियों जोकि जेल से छूटकर आने पर अपने घर पर न रहकर बाहर से ही व्यावसायियों एवं ठेकेदारों से रंगदारी की मांग करते हुए धमकी देने, विभिन्न स्रोतों से खबर भिजवाकर या खुद जाकर अपने प्रभाव क्षेत्र के ठेकेदारों व्यवसायियों, ट्रांसपोर्टरों तथा सीसीएल के पदाधिकारी/ कर्मियों को लेवि के लिए भयभीत करने का कार्य करते हैं एवं जिला बदर किए जाने के उपरांत भी अवांछित रूप से जिला में प्रवेश करने तथा विभिन्न स्रोतों से खबर भिजवाकर या खुद जाकर लेवी के लिए भयभीत करने अथवा वाद के गवाहों व वादी को डराने धमकाने की संभावना एवं अपराधी की गतिविधियों पर प्रतिदिन निगरानी रखने की आवश्यकता से संबंधित मामले में उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी के न्यायालय द्वारा की गई सुनवाई में निम्न आदेश जारी किए गए हैं। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं।
अपराध कर्मी दीपक करमाली उर्फ नेपाली (पतरातू प्रखंड), अपराध कर्मी सुनील राम उर्फ सुनील मोची (पतरातू प्रखंड), अपराध कर्मी मोनू सोनी (पतरातू प्रखंड) को आगामी 6 महीने के लिए प्रतिदिन 10:00 बजे पूर्वाह्न में थाना प्रभारी पतरातू के समक्ष हाजिरी लगाने हेतु आदेश दिया गया है।
यदि कोई अनुज्ञप्ति आधारित शस्त्र है तो अविलंब उसे स्थानीय थाने में जमा करना होगा एवं इस अवधि में किसी भी स्थिति में शस्त्र धारित नहीं करना होगा।
इसके अलावा उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी के न्यायालय द्वारा विधि व्यवस्था लोक शांति बनाए रखने तथा अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कुख्यात अपराधी निशांत सिंह स्टीम कॉलोनी, पतरातू के विरुद्ध निम्न आदेश जारी किए गए हैं।
अभियुक्त को 3 महीने अथवा आदर्श आचार संहिता की अवधि समाप्त होने तक जो भी पहले हो को रामगढ़ जिला क्षेत्राधिकार से निष्कासित (जिला बदर) किया गया है।अभियुक्त को आदेश पारित होने के 24 घंटे के अंदर जिले की सीमा को छोड़ना होगा एवं अगले छह माह तक जिले की सीमा में बगैर लिखित पूर्वानुमति के प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
यदि कोई अनुज्ञप्ति लाइसेंस आधारित शस्त्र है तो अविलंब उसे स्थानीय थाने में जमा कराएंगे एवं इस अवधि में किसी भी स्थिति में शस्त्रधारित नहीं करेंगे।
उक्त सभी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू है एवं आदेश की अवमानना अथवा उलंघन झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम 2002 की धारा 25 तथा भारतीय दंड संहिता, इत्यादि के अन्य सुसंगत धाराओं के अंतर्गत दंडनीय होगा।