गढ़वा से नित्यानंद दुबे की रिपोर्ट
गढ़वा : गढ़वा के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पत्नी की हत्या कर शव छिपाने के मामले में पति को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई है।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश शरण सिंह की अदालत ने धारा 302 के तहत 20 हजार रुपये और धारा 201 के तहत 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। हत्या के मामले में सजा पाने वाले दोषी का नाम योगेंद्र सिंह है जो जिले के मेराल थाना अंतर्गत बनुआ गांव का निवासी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार मृतका के पिता सुदन सिंह ने प्राथमिकी के माध्यम से बताया था कि 3 जुलाई 2021 को आरोपी ने उसकी बेटी कांति की हत्या कर शव को शालो जंगल में छिपा दिया।
उन्होंने शिकायत में यह भी बताया कि उन्होंने अपनी बेटी कांति देवी की शादी 8 साल पहले मेराल थाना के बनुआ गांव निवासी योगेंद्र सिंह से की थी। उनके दो बच्चे हैं। 7 वर्ष पूर्व उनके दामाद योगेंद्र सिंह ने उनकी बेटी के साथ ससुराल में मारपीट कर उसकी पसलियां तोड़ दी थी।
इसके बाद वे अपनी बेटी को ससुराल से अपने गांव बरगढ़ टोला महुआ टिकर ले आए और गढ़वा न्यायालय में अपने दामाद के खिलाफ मामला दर्ज कराया। उस मामले में समझौता होने के बाद दोनों बरगढ़ में एक साथ रहने लगे। घटना के 10 दिन पूर्व भी दोनों के बीच काफी झगड़ा हुआ था, बाद में दोनों एक साथ रहने लगे। घटना के दिन सुबह करीब 5:00 बजे उनकी बेटी कांति देवी और दामाद योगेंद्र सिंह हाथ में टोकरी और रस्सी लेकर जंगल की ओर निकल गए।
पूछने पर उन लोगों ने बताया कि मवेशी का शेड बनाने के लिए लकड़ी लेने जंगल जा रहे हैं। काफी देर बाद जब दोनों घर वापस नहीं आए तो वे अपनी पत्नी प्रमिला देवी के साथ 9:30 बजे जंगल गए और काफी खोजबीन के बाद जब दोनों नहीं मिले तो वे घर वापस लौट आए। कुछ देर बाद दामाद योगेंद्र सिंह ने अपने साले दशरथ सिंह के मोबाइल पर फोन कर बताया कि उसने कांति की हत्या कर दी है और शव को जंगल में महुआ के पेड़ के पास छोड़ दिया है। घटना की सूचना पर वह ग्रामीणों के साथ जंगल में गया तो देखा कि कांति देवी की धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी गई है।
अदालत ने आठ गवाहों, साक्ष्यों, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य दस्तावेजों के आधार पर उसे दोषी करार देते हुए धारा 302 आईपीसी के तहत आजीवन कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना तथा धारा 201 आईपीसी के तहत सात वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। इस मामले में आरोपी गिरफ्तारी के बाद घटना के दिन से ही जेल में है।