खूंटी : केंद्र सरकार सरकारी स्कूलों को मॉडल बनाने के लिए अरबो रुपये खर्च कर रही है। एक तरफ केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) को विस्तार देने में लगी है वहीं दूसरी तरफ झारखंड के अतिनक्सल प्रभावित खूंटी जिले के अड़की प्रखंड क्षेत्र में स्थित कस्तूरबा आवासीय विद्यालय आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
अड़की के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की छात्राएं प्रतिदिन अपनी दिनचर्या का कार्य पूरा करने के लिए पानी का जुगाड़ में अपना अधिकांश समय लगा देती हैं। कारण एक सोलर संचालित लघु जलमीनार है लेकिन मौसम साफ नहीं रहने से जलमीनार में पानी की सप्लाई बेहतर नहीं होती। एक बोरिंग भी स्कूल कैंपस में है लेकिन बरसात के मौसम में भी उस बोरिंग से पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। स्कूल के बाहर एक बोरिंग की गई है उससे थोड़ी थोड़ी मात्रा में नल से जल की आपूर्ति छात्राओं को की जाती है इससे सुबह, दोपहर शाम हर वक्त छात्राओं को पानी के लिए पानी-पानी होना पड़ता है। विद्यालय में साढ़े चार सौ छात्राएं नामांकित हैं। छात्राएं कहती हैं कि उन्हें पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ता है।
इस विषय पर जब हमने जिला शिक्षक अधीक्षक सह जिला शिक्षा पदाधिकारी महेंद्र पांडेय से सवाल किया तो उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि विद्यालय भवन निर्माण समेत अन्य चीजों को लेकर हमने विद्यालय का निरीक्षण किया था लेकिन न तो किसी शिक्षिका, न वार्डेन और न ही छात्राओं ने पानी की समस्या को लेकर कोई जानकारी दी। हमने निर्माणाधीन बिल्डिंग का अवलोकन किया और अधूरे बिल्डिंग निर्माण कार्य को जल्द पूर्ण करवाने संबंधी निर्देश संबंधित विद्यालय समिति को दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि बिल्डिंग निर्माण कार्य अबतक पूर्ण नहीं होने से छात्राओं को परेशानी हो रही है। विद्यालय प्रबंधन समिति को मैंने कहा था कि जितना निर्माण कार्य पूर्ण होता है उसकी मापी कर भुगतान के लिए भेजने का दायित्व समिति का है लेकिन अबतक विद्यालय समिति ने कार्य पूरा नहीं किया है।
वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि सीता नाग ने कहा कि अधूरे विद्यालय भवन निर्माण सम्बंधी मामले को यदि विद्यालय प्रबंधन समिति लिखकर भेजे तो जिला स्तर पर होने वाली जिला स्तरीय बैठक में विद्यालय मेन्टेनेन्स कार्य के लिए समुचित राशि मुहैया करायी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय से विद्यालय निर्माण का कार्य चल रहा है लेकिन अबतक पूर्ण नहीं किया गया है। निर्माण अवधि के अंदर भवन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने से और छात्राओं की बढ़ती संख्या के कारण क्लास रूम की दिक्कतें सामने आ रही हैं।
नक्सल प्रभावित इलाका अड़की के कस्तूरबा विद्यालय में दूर दराज की गरीब परिवार की छात्राएं और ट्रैफिकिंग की शिकार बच्चियां अपना भविष्य संवारने आयी हैं लेकिन प्रधानमंत्री के सपने ‘सब पढ़ें सब बढ़ें’ और ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ को धरातल पर उतारने में कहीं न कहीं सिस्टम कमजोर साबित हो रहा है। शिक्षा के लिए आवश्यक आधारभूत संरचनाओं को पूर्ण करने का दायित्व सिस्टम का है लेकिन जब सिस्टम ही अपने सिस्टम के दायित्वों से दूर नजर आए तो आखिर जिम्मेवारी किसकी है। उम्मीद है सिस्टम अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन ससमय करेगा तो बेटियां को अध्ययन का पूरा समय मिलेगा और बेटियों का भविष्य भी संवरेगा। बेटियां पढेंगी तो बेटियां आगे बढ़ेग और बेटियां आगे बढ़ेगी तो देश आगे बढ़ेगा।