@रंजीत पाण्डेय
लातेहार: जिल में भीषण गर्मी में सूख रहे गले को तरोताजा करने के लिए तथा प्यास बुझाने के लिए पानी के अलावा लोगो की पसंद तरबूज बन गया है।
इस चिलचिलाती धूप एवं कंठ सूखा देने वाली लू की थपेड़ों से निजात पाने के लिए सस्ता एवं सरल उपाय तरबूज साबित हो रहा है। लातेहार जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र के बाजार हो या अन्य छोटे बड़े चौक चौराहों पर बड़े पैमाने पर तरबूज पिकअप भान, ट्रक एवं ट्रैक्टर से आपूर्ति हो रहे हैं, जो सुबह होते ही बिक जा रहा है। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। तरबूज का महत्व तब दिखने लगता है।
जब शहर के मुख्य मार्ग पर सवारी गाडियां यात्रियों सहित यात्री चढ़ने अथवा उतारने के लिए रुकते है तो सुख रहे गले को तरोताजा करने लिए यात्री तरबूज के दुकान पर तरबूज खा कर अपनी सुख रहे गले को तरोताजा कर सकून महसूस करते देखे जा रहे है । प्रखंड मुख्यालय बाजार के तरबूज के थोक एवं खुदरा विक्रेता राजू कुमार ने बताया की बढ़ती गर्मी में तरबूज की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा की तरबूज रांची, गोपालगंज व अन्य जिले से लाई जाती है ।
उन्होंने बताया की खड़ा तरबूज 15 रुपए किलो ग्राम एवं काट कर 20 रुपए किलोग्राम के दर से बिक रहा है। वही तरबूज विक्रेता अफरोज ने बताया कि अभी यह फल हम आर्डर पर मंगवाते हैं। आढ़ती आर्डर के मुताबिक यह माल हम तक पहुंचाता है जिस कारण फल की कीमत व खर्चा डालकर यह फल काफी महंगा पड़ जाता है।
उसने बताया कि जब पंजाब में पैदा होने वाली तरबूज की फसल मार्केट में आते ही इसके मूल्य में काफी गिरावट आ जाती है और हमारा धंधा दोगुणा हो जाता है। जैसे-जैसे माल की आमद बढ़ती है माल की क्वालिटी भी अच्छी होती जाती है। उसने बताया कि जब तक दिन का तापमान 41-42 तक रहता है तरबूज की सेल चरम सीमा पर रहती है।
बरसात होने के साथ ही बाजार में तरबूज की बिक्री 50 प्रतिशत तक गिर जाती है। उसने बताया कि खरबूजा व तरबूज एक साथ ही मार्केट में उतरते हैं। जब खरबूजा भारी मात्रा में बाजार में आ जाता है तो भी तरबूज की बिक्री बहुत कम हो जाती है। उसने बताया कि थोक में माल बेचने वाले को इतना मुनाफा नहीं मिलता और न ही उत्पादक को इसका मुनाफा मिलती है क्योंकि आढ़ती व दलाल उनका मुनाफा खा जाते हैं।
गौरतलब है कि मिलावट के युग में तरबूज भी मिलावट और दवाइओं से पका कर मार्केट में बेचा जा रहा है। जिससे इन्सानी जिन्दगी व वातावरण दोनों ही दूषित हो रहा है।