रांची: राजधानी रांची के करम टोली धुमकुड़िया भवन में आज विभिन्न आदिवासी संगठनों/ सरना समितियों, आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों की एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई।
यह बैठक पूर्णतः आदिवासियों के मुद्दों को लेकर आहूत की गई थी। इसमें मुख्य रुप से राजनीतिक पार्टियों के राजनीतिक कार्यक्रमों में विभिन्न आदिवासी/ सरना समिति/ संगठनों और इसके अगुआ जनों द्वारा धार्मिक – सामाजिक सरना झंडे और इसके प्रतीकों का दुरुपयोग किये जाने पर गंभीरता पूर्वक चर्चा की गई। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। बैठक में उपस्थित आदिवासी संगठन/सरना समितियां, आदिवासी सामाजिक चिंतकों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक स्वर से जोर देकर कहा कि हाल के दिनों में प्रकृति पूजक आदिवासियों के सरना झंडे का दुरुपयोग बढ़ा है।
इस पर कड़ा विरोध जताया। सबों ने कहा कि आज आदिवासियों के धार्मिक- सामाजिक सरना झंडे का महत्व को कुछेक आदिवासियों और सरना समुदाय के तथाकथित स्वयंभू लोगों द्वारा सरना झंडे को गिरवी रख दिया जा रहा है। यह आदिवासी समुदाय और सरना धर्मावलंबी लोगों का घोर अपमान है तथा यह सरना आदिवासियों की प्रतीकों पर कुठाराघात है।
इससे सरना झंडे का महत्व और प्रासांगिकता पर सवालिया निशान है। इस बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने आदिवासी समुदाय से अपील करते हुए कहा कि कि आदिवासी समुदाय को इस झंडे का दुरुपयोग के खिलाफ आगे आना होगा।
इस बैठक में निर्णय लिया गया कि आगे से इस झंडे का उपयोग किसी भी राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रमों और अवांछित जगहों पर इस झंडे का उपयोग किया गया तो आदिवासी समुदाय ऐसे लोगों के विरोध में खड़ा होगा तथा ऐसे कुकृत्यों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी मुकदमा दर्ज कराएगा।
इस बैठक में मुख्य रुप से आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की, सरना सदान मूलवासी मंच के अध्यक्ष सुरज टोप्पो,कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुंडा , झारखण्ड छात्र संघ के केन्द्रीय महासचिव रंजीत उराँव,महाराजा मदरा मुंडा केंद्रीय पडहा समिति के महामंत्री साधुलाल मुंडा, बिरसा मुंडा स्मारक समिति टैगोर हिल मोरहाबादी के कार्यकारी अध्यक्ष अमित मुंडा,12 पड़हा कांके के संरक्षक सधन उरांव, केंद्रीय सरना समाज उत्थान समिति हेसल , अनगड़ा के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक पाहन इत्यादि लोग शामिल थे।