रांची : झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव अमीन अहमद ने कहा है कि पिछले दिनों ओरमांझी प्लस टू उच्च विद्यालय, राँची में उर्दू शिक्षक नहीं होने का हवाला देकर बच्चों का नामांकन नहीं लिए जाने का मामला प्रकाश में आया है जिसकी खबर अखबार में भी प्रकाशित हुई है।
विषय शिक्षक नहीं होने के नाम पर नामांकन नहीं लिया जाना हर लिहाज से गलत है। कई ऐसे विषय भी हैं जिसके विषय शिक्षक +2 विद्यालयों में अब तक नहीं हैं।उन्होंने शिक्षा अधिकार अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी बच्चे का नामांकन नहीं लिया जाता है तो यह कृत आरटीई के विरुद्ध है, क्योंकि बच्चों का नामांकन विषय शिक्षक के नहीं होने पर हम उन्हें शिक्षा से वंचित नहीं कर सकते हैं।
यदि उर्दू भाषा के शिक्षक नहीं है. तो जिला शिक्षा विभाग अथवा विद्यालय अपने स्तर से शिक्षक की व्यवस्था करे। विद्यालय के प्राचार्य को विषय शिक्षक के नहीं होने का हवाला देकर ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। अमीन अहमद ने कहा कि झारखंड में बच्चों के हित में कम और सरकार के हित में अधिक निर्णय लिये जाते हैं। यही कारण है कि पुरे राज्य में शिक्षकों की घोर किल्लत है।
हजारों स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षक है ही नहीं या फिर एकल शिक्षक हैं, ऐसे स्कूलों में शिक्षकों का प्रतिनियोजित कर चलाया जा रहा है। इससे प्रतिनियोजित वाला एक शिक्षकीय विद्यालय भी बेहतर तरीके से नहीं चल पाता है तथा जिस स्कूल से शिक्षक का प्रतिनियोजन किया जा रहा है वह भी गुणवत्त शिक्षा देने के बजाए दम तोड़ रहा है। नतीजतन शिक्षकों की कमी में पुरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही है।
जिससे शिक्षा विभाग या राज्य सरकार को कोई लेना देना नहीं है। उन्हें केवल आंकड़ों को सुधारने से ही मतलब है। अमीन अहमद ने कहा कि हाल के दिनों में प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की बहाली की जानी है, जिसमें उर्दू शिक्षक का पद ही सृजित नहीं किया गया है। एक तरफ शिक्षक नहीं होने से बच्चों का नामांकन नहीं हो रहा है। दूसरी ओर राज्य सरकार उर्दू शिक्षक बहाल ही नहीं कर रही है।
ऐसे में बच्चों की शिक्षा पर दोहरी मार पड़ रही है। उन्होंने कहा कि मैट्रिक की परीक्षा में हजारों की संख्या में बच्चे उर्दू विषय लेकर उत्तीर्ण हुए हैं। लेकिन उनके आगे की शिक्षा की व्यवस्था राज्य सरकार करने में विफल है। अब तक +2 विद्यालयों में राजनीति शास्त्र, मानव शास्त्र, दर्शन शास्त्र, कंप्यूटर विज्ञान, क्षेत्रीय एव्ं उर्दू जैसे महत्वपूर्ण भाषा के पदों का सृजन ना किया जाना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, क्योंकि उक्त विषयों की पढ़ाई स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स के लिए महाविद्यालयों में की जाती है।अगर +2 विद्यालयों में उनका नामांकन नहीं हो तो उन्हें उच्च शिक्षा कैसे प्राप्त होगी?
यह छात्र हित में एक ज्वलंत प्रश्न है। हमारी संघ राज्य सरकार से मांग करती है कि प्लस टू स्कूलों में उर्दू शिक्षक सहित अन्य विषयों का पद सृजित कर बहाली करे,तथा शिक्षक बहाल होने तक राज्य के +2 विद्यालयों में उर्दू भाषी बच्चों के नामांकन में किसी को परेशानी ना हो इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।