गोड्डा: ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में “विश्व मधुमक्खी दिवस” के अवसर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में चल रहे ऑनलाईन वेबिनार कार्यशाला का प्रसारण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति डाॅ.आर.के.सोहाने जी ने किया। पौधा सुरक्षा वैज्ञानिक डाॅ0 सूर्यभूषण ने बताया कि आधुनिक खेती में काम आने वाली मधुमक्खियों द्वारा विभिन्न फसलों के पर परागण से फसल की उपज में वृद्धि होती है। फलों एवं बीजों की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा संकर बीज का बेहतर उपयोग करने में सहायता मिलती है। सरसों में मधुमक्खियों की परागण में अहम् भूमिका होती है। एक प्रयोग के अनुसार अगर 1 हेक्टेयर खेत में मधुमक्खी के 5 बक्से रखे जाएं तो सरसों का उत्पादन लगभग 60 से 70 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसी तरह लीची और आम की उपज बढ़ाने में मधुमक्खी का योगदान लगभग 90 प्रतिशत है। सब्जियां खासकर गाजर, धनिया, गोभी आदि के बीज उत्पादन में मधुमक्खी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मधुमक्खी के परागण से बैंगन, टमाटर, लत्तेदार सब्जियां का भी गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पाया गया है। अरहर के उत्पादन में भी मधुमक्खी की महत्वपूर्ण भूमिका पायी गयी है। फसलों पर रासायनिक दवाओं के छिड़काव के कारण मधुमक्खी पालन पर असर पड़ता है और छिड़काव से काफी मधुमक्खियां मारी जाती हैं। मधुमक्खियों को कीटनाशकों से बचाव के लिए निम्न सावधानी बरतनी चाहिए:
1. ऐसे कीटनाशकों का चुनाव करें जो मधुमखियों के प्रति सुरक्षित हो।
2. यदि कीटनाशक का सुबह के समय छिड़काव हो तो मधुमक्खी पालकों को शाम में सूचित कर दें ताकि वे अपने बक्सों के दरवाजे बंद कर दें। उन्होंने मधु के औषधीय गुण बताते हुए कहा कि शहद या मधु हमेशा से रसोई में इस्तेमाल होने वाला एक स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ रहा है, साथ ही सदियों से एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में इस्तेमाल होता है।शहद खून के लिए अच्छा होता है, रक्तचाप में फायदेमंद, कीमोथैरेपी में असरदायक,चीनी से कम नुकसानदायक, शहद एंटी बैक्टीरियल एवं एंटी सेप्टिक है,पित्त की देखभाल में फायदेमंद,सर्दी, जुकाम के लिए नीम, काली मिर्च, शहद और हल्दी का सेवन लाभदायक होता है,शहद बलवर्द्धक खाद्य पदार्थ है,शहद पाचनक्रिया में मदद करता है,शहद त्वचा और सिर के बाल के संक्रमणों से लड़ता है, शहद एनीमिया रोग में लाभकारी खाद्य पदार्थ है। मौके पर डाॅ. हेमन्त कुमार चौरसिया, डाॅ.प्रगतिका मिश्रा, डाॅ.अमितेश कुमार सिंह, डाॅ.रितेश दुबे, अमर साहनी, जयमंती हेम्ब्रम आदि ने कार्यशाला का सजीव प्रसारण देखा।