चरही। गुरुवार को परियोजना बालिका उवि चरही और कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय चरही में खुशी क्लास का आयोजन हुआ।
जबकि दूसरी पाली में घुटुवा दुर्गा मंडप के पास खुशी चौपाल का आयोजन हुआ।लाइफ केयर हॉस्पिटल, रांची और खुशी मिशन के तत्वावधान में आयोजित खुशी क्लास को सम्बोधित करते हुए संस्थापक सह संचालक मुकेश सिंह चौहान ने कहा कि असफलता हमेशा सफलता की पहली सीढ़ी होती है। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। इसलिए असफलता से घबराना नहीं है। बल्कि इसपर पैर रखकर सफलता की मंजिल तक पहुंच जाना है।
सकारात्मकता कैसे जिंदगी बदलती है इससे सम्बंधित चौहान ने कहानी भी सुनाई- एक वैज्ञानिक का पुत्र अपने पिता की सफलता और धन पर सिर्फ ऐश करता। एक दिन वैज्ञानिक पुत्र के सामने बर्तन के खौलते पानी में एक मेढक को डाला। मेढक उछलकर बर्तन से बाहर आ गया।
फिर वैज्ञानिक ने एक बर्तन में रखे नार्मल पानी में मेढक को डाला। मेढक बाहर न कूदकर पानी में आराम से रहा। अब वैज्ञानिक ने बर्तन के नीचे आग सुलगा दी। पानी हल्का गर्म हुआ, फिर भी मेढक पानी में ही रहा। जब पानी खौलने लगा, तब मेढक निकलने का प्रयास शुरू किया। लेकिन मेढक निकल नहीं पाया और दम तोड़ दिया।
वैज्ञानिक ने पुत्र से कहा- अगर तुम क्रियाशील रहकर परिस्थिति का सामना करते हो तो तुम्हारे अंदर शक्ति का संचार होता रहता है। लेकिन तुम सेफ जोन में आराम से पड़े रहते हो तो तुम्हारी शक्ति कमजोर पड़ने लगती है। ऐसे हालात में अचानक मुसीबत आ जाए तो तुम उबर नहीं पाओगे, टूट जावगे।
जैसे मेढक शुरू में गर्म पानी से कूद कर बच गया। लेकिन नार्मल और हल्के गर्म में आराम से पड़ा रहा। नतीजन उसकी ताकत कमजोर पड़ गई। काफी गर्म हो जाने पर जिस बर्तन से पहले वह कूद गया था, दूसरी बार उसी बर्तन को फलांग नहीं पाया और दम तोड़ दिया। कार्यक्रम के अंत में चौहान ने स्कूल प्रबंधन से आग्रह किया कि कभी भी कोई तनाव से सम्बंधित मामला आए, खुशी क्लास से जरूर संपर्क करें। निःशुल्क हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी।