राजनगर: पंडित रघुनाथ मुर्मू चौक रोला में रविवार को आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से संताली भाषा के लिपि (ऑलचिकी ) के जनक गुरू गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 119 वीं जयंती मनाई गई।
आदिवासी रीति रिवाज के साथ नायके बाबा कादे मुर्मू के नेतृत्व में पूजा अर्चना किया गया एवं उपस्थित लोगों ने गुरू गोमके को श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया। यह खबर आप झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं।मौके पर झारखंड प्रदेश के पोनोत परगना सुगनाथ हेंब्रोम ने कहा 5 मई पंडित रघुनाथ मुर्मू का जन्म दिवस है।
झारखंड, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, असम एवं अन्य राज्यों में पंडित मुर्मू का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। पंडित रघुनाथ मुर्मू का जन्म 5.5.1905 को उड़ीसा राज्य के मयुरभंज जिला के डांडबुस गांव में हुआ था। पंडित रघुनाथ मुर्मू मात्र 20 वर्ष के अल्प आयु में संताली भाषा के लिपि ओल चिकि का अविष्कार किया था।
उन्होने वर्ष 1925 में संताली भाषा के लिपि ओल चिकि लिपि को संताल समाज के सामने प्रर्दशित किया था।तब से लेकर उन्होंने अपने जीवन पर्यंत ओल चिकि लिपि के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया।पंडित रघुनाथ मुर्मू आदिवासी संताल समाज को जगाने के लिए स्वयं ओल चिकि लिपि से अनेक किताबों की रचना भी किया। पंडित रघुनाथ मुर्मू पेशे से एक शिक्षक थे साथ ही लेखक और नाट्यकार भी थे।विदू-चंदन और दाडे़ गे धोन उनका प्रमुख एवं प्रसिद्ध नाटक है।
सुगनाथ हेंम्ब्रोम ने पंडित रघुनाथ मुर्मू के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान में ओलचिकी के ऊपर मंडराते खतरों से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा जिस आशा और उद्देश्य के साथ पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संताली भाषा की ओल चिकी लिपि का निर्माण किया था कहीं ना कहीं आज उनका सपना अधूरा नजर आ रहा है। क्योंकि झारखंड प्रदेश का निर्माण आदिवासी राज्यों के रूप में हुआ था और आज आदिवासियों के बीच में सबसे बड़ी भाषा संथाली जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है।
2003 में संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सलखान मुर्मू के नेतृत्व में एक सौ से अधिक आदिवासी संगठनों के सहयोग से यह काम हुआ था। लेकिन दुर्भाग्य झारखंड राज्य जो आदिवासियों के लिए बना अपने ही राज में झारखंडी भाषा (संथाली )को अब तक राज्य का प्रथम राजभाषा नहीं बना पाया। पंडित रघुनाथ मुर्मू का जयंती मनाने से ज्यादा जरूरी है उन्होंने जो समाज को संदेश दिया है “ओल मेनाग् तमा, रोड मेनाग् तमा धोरोम मेनाग् तमा, आमहों मेनामा ” ओलेम आदलेरे रोडेम आदलेरे धोरोमेम आदलेरे आमहोंम आदओआ”इस पद चीन पर चलना ज्यादा जरूरी है।
इस मौके पर मोठाय बस्के, फागू मुर्मू , पार्वती हेंम्ब्रोम सावना मुर्मू , जॉन मुर्मू , विजय हंसदा, दिकूराम मुर्मू, किसान मुर्मू, बुधू टुडू , रश्मि हेंम्ब्रोम, छोटी मुर्मू , बुघू टुडू , सावना मुर्मू , ठकुरा हांसदा, मेनका हंसदा, संगीता मुर्मू, माही टुडू, पूनम मुर्मू, संजू हेंब्रम, किसान मुर्मू , सुसांत हंसदा, सागुन मुर्मू , आर्यन मुर्मू सहित अन्य उपस्थित थे ।