नई दिल्ली यूनेस्को की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि काम की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले प्रवासियों का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 10 फीसदी योगदान है और पलायन का सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है। ऐसे प्रवासियों का आबादी में हिस्सा करीब 30 प्रतिशत है। रिपोर्ट के मुताबिक, काम की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य में होने वाले प्रवास को समृद्ध शहरों के लिए एक अहम कारक माना जाता है। इससे आर्थिक गतिविधियों और विकास को बढावा मिलता है। विभिन्न स्रोतों का हवाला देते हुए अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के बाद प्रवासियों की संख्या बढ़कर 40 करोड़ हो गयी जो 2001 में 30.9 करोड़ थी।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि दस लाख से अधिक आबादी वाले ज्यादातर शहरों में जनसंख्या वृद्धि में महत्वपूर्ण गिरावट आयी है। भारत में वर्ष 2009 में प्रवासियों की संख्या अनुमानित 40 करोड़ रही जबकि वैश्विक स्तर पर उनकी संख्या 74 करोड़ रही। ‘भारत में आंतरिक प्रवासियों का सामाजिक समावेश’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में प्रवासियों की संख्या में महिलाओं की संख्या अधिक है। बताया गया है कि ग्रामीण इलाकों में 91.3 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 60.8 प्रतिशत महिलाएं प्रवासी हैं। प्रवासियों का 30 प्रतिशत 15-29 आयु समूह से जुड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासी अक्सर जातीय, भाषायी और धार्मिक आधार पर वोट बैंक की राजनीति के शिकार होते हैं तथा राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिरोध व भेदभाव का सामना करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि महिला प्रवासियों को खासकर अपने लिंग के कारण दोहरे भेदभाव का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवास विकास का एक अभिन्न हिस्सा है और भारत के जीडीपी में शहरों का योगदान उनके बिना संभव नहीं होगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक ‘‘काम की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले प्रवासी विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए सस्ता श्रम मुहैया कराते हैं और ऐसा करके राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान देते हैं लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। यह लोग बोझ नहीं होते बल्कि महत्वपूर्ण होते हैं।’’
यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि सूरत, नासिक, लुधियाना, फरीदाबाद और पुणे की गिनती महानगरों के तौर पर नहीं होती, लेकिन दस लाख से ज्यादा की आबादी वाले इन शहरों में ज्यादातर प्रवासी हैं। रिपोर्ट में वर्ष 2001 की जनगणना के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि सूरत में आबादी का 58 प्रतिशत, लुधियाना में 57 प्रतिशत, फरीदाबाद में 55 प्रतिशत, नासिक में 50 प्रतिशत और पुणे में 45 प्रतिशत प्रवासी हैं। दिल्ली के साथ ही मुंबई में आबादी का 43 प्रतिशत हिस्सा प्रवासियों का है। उनके लिए बेहतर कानूनी और सामाजिक संरक्षण का आह्वान करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि काम की तलाश में पलायन करने वाले प्रवासी शिक्षा की कम दर और अपने अधिकारों के बारे में पता नहीं होने के कारण खास तौर पर असुरक्षित होते हैं।