हनवारा से जावेद अख्तर
हनवारा: इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक नवां महीना रमजानुल मुबारक का होता है। इस्लाम धर्म(मुस्लिम समाज)के लिए रमजानुल मुबारक महीने की बहुत बड़ी अहमियत मानी जाती है। इन्हें इबादतों, बरकतों, रहमतों का महीना माना जाता है। दुनिया भर में इस्लाम को मानने वाले लोग रमजान के पूरे महीने अल्लाह की इबादत करते हैं। रोजा रखते हुए, नमाज अदा करते हैं और क़ुरआन की तिलावत करते हैं। हर वर्ष चांद का दीदार करने के बाद रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत होती है। लोगों को रमज़ान के चांद का खासा इंतजार रहता है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक खबर मिली है कि सऊदी अरब में रविवार,11 अप्रैल को चांद नहीं देखा गया। ऐसे में वहां 13 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा। सऊदी अरब के मुताबिक पूरे भारत में 14 अप्रैल बुधवार को पहला रोजा रखा जाएगा।
महीना 29 या 30 दिन का होता है
जानकारों के मुताबिक 13 अप्रैल को दुनिया के अन्य देशों में रमजान का महीना संभवतः 13 अप्रैल 2021 से शुरू हो रहा है। रमजान का चांद रविवार को सऊदी अरब में नहीं दिखाई दिया और अरब देश में पहला रोजा मंगलवार, 13 अप्रैल को होगा। चांद दिखने की तारीख के मुताबिक यह महीना 29 या 30 दिन का होता है।
रमजान के महीने में ही पढ़ी जाती है तरावीह की नमाज
एक दिन की नमाज में पांच बार मांगते हैं देश की सलामती की दुआ
मुस्लिम समाज के पवित्र माह रमजान में तरावीह नमाज का विशेष महत्व है। यह नमाज रमजान के महीने में ही पढ़ी जाती है, जो रमजान शरीफ का चांद दिखने से लेकर ईद का चांद दिखने तक हर रोज होती है। तरावीह नमाज ईशा की नमाज के बाद होती है। इसमें 20 रकात नमाजें है। हर दो रकात के बाद सलाम फेरा जाता है। 10 सलाम में 20 रकात होती हैं। वहीं हर 4 रकात के बाद दुआ पढ़ी जाती है। जिसमें सभी नमाजी देश और समाज की सलामती, भाईचारे, रोजी-रोजगार आदि के लिए दुआ मांगते हैं। एक नमाज में पांच बार दुआ पढ़ी जाती है। ईशा की नमाज को मिलाकर हर दिन 37 रकात नमाज पढ़ी जाती है। तरावीह नमाज को पढ़ने में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। जिसे रमजान के हर दिन पढ़ना जरूरी है।
20 रकाअत तरावीह पढ़ने से होती हैं वर्जिश व साथ साथ कई बीमारियों से मिलती हैं निजात
कोरोना का रमजान पर क्या पड़ेगा असर
खैरटीकर मदरसा के मौलाना जैनुल आविदिन ने कहा है कि कोरोना महामारी को लेकर इस बार भी लोग अपने अपने घर से रमजान में इबादत करेंगे।जिस तरह से तराबीह की नमाज मस्जिद में अदा की जाती थी,कोरोना महामारी को देखते हुए सभी मुस्लिम समुदाय के लोग तराबीह की नमाज घर में अदा करेंगे।इस बार यहां 14 अप्रेल को पहला रोजा रखेंगे।