गढ़वा से नित्यानंद दूबे की रिपोर्ट
गढ़वा : गढ़वा में जिला जज के पद पर पदस्थापित, हजारीबाग, झारखंड के निवासी अजीत कुमार की लिखी एस सी/ एस टी एक्ट पर पुस्तक का सोशल मीडिया पर काफी तारीफ हो रही है । उन्हें आशा है कि यह किताब एससी एसटी एक्ट को समझने में काफी मदद करेगी विशेषकर वकीलोंं को इस किताब के बाद किसी अन्य किताब की जरूरत महसूस नहीं होगी।
अजीत कुमार ने बताया कि एससी एसटी एक्ट कानून से संबंधित जानकारी को इस पुस्तक के माध्यम से आम लोगों तक आसानी से सुलभ हो सके, इसलिए इस पुस्तक की रचना उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन में की है। हालांकि इस किताब को लिखनेे की लालसा उनके दिल में बहुत दिनों से थी लेकिन न्यायिक कार्य में व्यस्त रहने के कारण इस किताब को लिख नहीं सके थे । अभी कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के समय उन्हें इस किताब को पूरा करने का अवसर मिला अब यह किताब उन्होंने पूरा कर लोगों तक पहुंचाने का प्रयास प्रारंभ कर दिया है।
अजीत की उपलब्धि से कानून विदों में खुशी
अजीत ने बताया कि वह कानून के साथ विकास और अच्छी समझ के संबंध में जानकारियों को अन्य पुस्तकों के माध्यम से साझा करने का प्रयास जारी रखेंगे, जिसे वह सामाजिक चेतना का दायित्व भी बताते हैं। अगर इस तरह के सामाजिक चेतना का प्रयास जारी रहा तो आमजनों के लिए एक लाभकारी सहयोग होगा। शैलेंद्र को मिली इस उपलब्धि पर कानून विदों में खुशी की लहर है। सोशल मीडिया के साथ-साथ उन्हें फोन कर बधाई दी जा रही है।
अजीत कुमार, जब उनके जैसे कई अन्य लोग होम स्टे के दौरान विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का आनंद ले रहे थे लॉकडाउन की अवधि में, श्री कुमार पुस्तक लिखने में कड़ी मेहनत कर रहे थे।
मिस्टर कुमार उनकी लंबे समय से किसी पर एक पुस्तक लिखने की इच्छा थी। एक न्यायाधीश के रूप में अदालती कार्यवाही की सुनवाई के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि
कानूनी पेशे में नए लोगों को अधिक और गहराई से जानने की आवश्यकता थी, पेचीदगियों सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्याख्या किए गए केस कानूनों के माध्यम से लिए गए तथ्यों को इस पुस्तक में समेटने का प्रयास किया है।
इन अदालतों द्वारा तय किया गया अनुपात भी देश का कानून बन जाता है। इन श्रेष्ठों के व्याख्या किए गए कानून प्रदान करने के लिए
सभी संबंधित व्यक्तियों को सटीक, स्पष्ट और आसान तरीके से अदालती कार्यवाही समझने के लिए आसान शब्दों में संकलित किया गया है। अपने 164 पेज के किताब में , प्रमुख मुद्दों पर अलग-अलग प्रश्न तैयार किए गए हैं और उत्तर दिए गए हैं जिसे उच्च न्यायालयों के निर्णयों के आधार पर तैयार किया गया है। इन उत्तरों को पढ़ने से इन मुद्दों पर पाठकों के सारे तथ्यों स्पष्ट जानकारी मिल जाती है।
यह किताब अधिवक्ता, लोक अभियोजक, पुलिस अधिकारी, वादी, कानून के छात्र और अन्य सभी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अदालती कार्यवाही से संबंधित व्यक्ति के लिए काफी लाभकारी होगा।
श्री कुमार प्रकाशकों के संपर्क में हैं।
झारखंड उच्च न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद या पुस्तक’ए हैंडबुक ऑन एससी/एसटी एक्ट’ शीर्षक से प्रकाशित होगी। इस पुस्तक के प्रकाशन से अजीत कुमार
झारखंड के एकमात्र न्यायाधीश बनने का गौरव प्राप्त करेंगें ।
अपने प्रारंभिक तथा उच्च शिक्षा पटना बिहार से प्राप्त करने के बाद अजीत कुमार का चयन सबसे पहले बिहार सरकार के सहायक लोक अभियोजक (एपीपी) पर हुयी और दानापुर में तैनात हुए।
सन 2002 में इनका चयन अपर जिला न्यायाधीश के पद पर सीधी भर्ती के रूप में हुयी। वह झारखंड में चतरा में न्यायाधीश के रूप में तैनात रहे हैं।
बोकारो, चाईबासा, देवघर और वर्तमान में गढ़वा में जिला न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।