प्रमेश पाण्डेय
बालूमाथ:आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादातर सड़क हादसे मानवीय भूल का नतीजा होते हैं, यह बात अपने आप में सच भी है, लेकिन एक दूसरा सच यह भी है कि मानवीय भूल के कारण होने वाले हादसे भी हमारी कई व्यवस्थाओं की पोल खोलते हैं। तेज ट्रैफिक वाले एक्सप्रेस-वे जैसी जगहों पर तो ऐसी व्यवस्थाएं की ही जानी चाहिए कि वहां मानवीय भूल की गुंजाइश कम से कम हो। सोमवार की सुबह यमुना एक्सप्रेस-वे पर जो बस हादसा हुआ, वह हमारी कई सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खडे़ करता है। इस भयानक हादसे के बाद जो पहला आधिकारिक बयान स्थानीय प्रशासन की तरफ से सुनने को मिला, उसमें बताया गया कि हादसे का कारण यह था कि ड्राइवर को अचानक झपकी आ गई और अनियंत्रित बस रेलिंग तोड़कर नाले में जा गिरी। जाहिर है, यह मानवीय भूल का ही एक मामला है, लेकिन भविष्य में ऐसे हादसे न हों, इसके लिए हमें इसे मानवीय भूल के तर्क से आगे जाकर देखना होगा।
लगभग 50 यात्रियों से भरी उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की यह बस रविवार की देर शाम लखनऊ से चली थी और सुबह इसे दिल्ली पहुंचना था। 500 किलोमीटर से ज्यादा का पूरी रात का सफर किसी भी ड्राइवर को थका देने के लिए काफी होता है। बावजूद इसके कि ऐसी बसों के ड्राइवर कम से कम दो जगह रास्ते में बस रोकते हैं, ताकि उनकी एकरसता भंग हो। फिर भी झपकी आ जाने जैसी शिकायतें यदा-कदा सुनने को मिलती रहती हैं। इससे बचने का एक बेहतर तरीका यह हो सकता है कि आधे सफर के बाद ड्राइवर को बदल दिया जाए। इसके कई अन्य उपाय भी सुझाए जा रहे हैं। ऐसे हादसे फिर न हों, इसकी पक्की व्यवस्था तो करनी ही होगी।
यह हादसा उस समय हुआ है, जब कुछ ही दिनों पहले हमने यमुना एक्सप्रेस-वे पर सुरक्षा के ढेर सारे उपाय अपनाने के दावे सुने थे। हमें यह बताया जाता रहा है कि पूरे एक्सप्रेस-वे पर मोबाइल राडार की व्यवस्था है, हर साढ़े पांच किलोमीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, इसके अलावा हाई-वे पर पुलिस गश्त की विशेष व्यवस्थाएं हैं। लेकिन सोमवार की सुबह जब यह हादसा हुआ, तो उसके एक घंटे बाद ही इसकी खबर प्रशासन और पुलिस को लग सकी और बचाव कार्य शुरू होने में तो दो घंटे लग गए। अगर यह काम पहले हो गया होता, तो शायद कुछ लोगों की जान बचाई जा सकती थी। कुछ समय पहले यमुना एक्सप्रेस-वे उस समय सुर्खियों में आया था, जब भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000 बमवर्षकों को यहां उतारा था। काश, युद्धस्तर की गुणवत्ता वाले एक्सप्रेस-वे की सुरक्षा व्यवस्थाएं भी युद्धस्तर की होतीं।
हर साल, बल्कि हर रोज सड़क दुर्घटनाओं में भारी संख्या में लोग जान गंवा देते हैं। देश में हर साल करीब डेढ़ लाख लोग सड़क हादसों का शिकार बनते हैं। एक्सप्रेस-वे कैसे निरापद बनाए जाएं, इसके लिए पूरी दुनिया में कोशिशें चल रही हैं, यहां तक कि अमेरिका और चीन जैसे देशों में भी। ऐसे एक्सप्रेस-वे पर गति काफी तेज होती है, इसलिए जोखिम भी कहीं ज्यादा होते हैं। पर कई देशों ने ऐसे हादसों को कम करने में खासी कामयाबी हासिल की है। इस समय जब पूरे देश में आधुनिक सड़कों और एक्सप्रेस-वे का निर्माण काफी तेजी से हो रहा है,तो जरूरी है कि सुरक्षा के भी आधुनिकतम उपाय अपनाए जाएं।