जगह-जगह सड़क में बन गए गड्ढे ,घरों और दुकानों में घुस गए हैं पानी।
कोलियरियों में कोयला उत्पादन और डिसपैच में पड़ा असर।
बोकारो से जय सिन्हा
बोकारो/बेरमो: मानसून का बारिश लगातार हो रही है। फुसरो बाजार में जगह-जगह सड़क में गड्ढे बन गए हैं। नालियां जाम है। घरों औऱ दुकानों में पानी घुस गए हैं।जनता परेशान हैं। अब जनता पूछने लगी है। कहां है हमारे जनप्रतिनिधि। कोई जन्मदिन मनाने में व्यस्त हैं ,तो कोई शादी का साल गिरह मनाने में। फुसरो बाजार के ओवर ब्रिज के पास और निर्मल चौक के समीप सड़क में जानलेवा गड्ढे बन गए हैं।अनुमंडलीय अस्पताल बेरमो परिसर में पानी भरा है। मरीज पानी मे जाकर अस्पताल जाने को विवश हैं।सड़कों के किनारे नालियां जाम है। जमा कचरे से दुर्गंध फैल रही है। जबकि चंद कदमों की दूरी पर फुसरो नगर परिषद और बेरमो प्रखंड कार्यालय है। फुसरो नगर परिषद जो सफाई के नाम पर पुरस्कार लेता है। वह क्या अपना दायित्व पूरी तरह से निभा रहा है। यह जनता को तय करना है। नगर परिषद तो जनता की सुविधा देने में पूरी तरह सफल नहीं है। लेकिन यह फुसरो बाजार गिरिडीह लोकसभा और बेरमो विधानसभा क्षेत्र में भी आता है। इसलिए जनता पूछ रही है ,क्या कर रहे हैं। हमारे जनप्रतिनिधि। हम लोग पानी से परेशान हैं ,सड़क चलने लायक नहीं है। जनजीवन अस्त व्यस्त है और जनप्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और सीसीएल के अधिकारी लग्जरी कार में चलते हैं,उन्हें क्या पता है कचड़ा भरे सड़क पर चलने का दर्द। सीसीएल की खदानों में पानी भरा है ।बरसात से पहले पानी निकासी का प्रबंधन ने उपाय नहीं किया। जिससे कोयला उत्पादन और डिसपैच भी प्रभावित हो रहा है। कॉलोनी में भी गंदगी का अंबार है।कई कॉलोनी के क्वार्टरों में गंदा पानी घुस गया है।जर्जर आवास का छत से पानी रिस रहा है। कई क्वार्टर के छत और छज्जे गिर रहे हैं।उसमें रहने वाले लोग घायल हो रहे हैं । जबकि सीएसआर और कायाकल्प के नाम पर करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष खर्च किए जाते है । सफाई के नाम पर नगर परिषद भी हर साल करोड़ों रुपए खर्च करता है। इस बदहाली के लिए कौन है जिम्मेदार। जबकि विधानसभा, लोकसभा या नगर परिषद का चुनाव हो,सभी जनप्रतिनिधि जनता कि नहीं ज्वलंत समस्याएं दूर करने और उनकी सुख -दुख में भागीदार बनने के नाम पर वोट मांगते हैं। और चुनाव खत्म होते ही सारे लोग इन समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं। जनता तो बेचारी है फिर चुनाव आएगा किसी न किसी को वोट डालेंगे, कोई ना कोई सांसद, विधायक, कोई नप अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तो कोई वार्ड पार्षद बनेंगे और जनता फिर उन्हें पांच साल कोसती हुई समय बीता देगी यह क्रम चलता है, चलता ही रहेगा।