रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर :राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संगठन,युथ सेल के झारखंड प्रदेश महामंत्री बसंत महतो ने शनिवार को आपातकालीन स्थिति में थैलेसीमिया मरीज के लिए ब्लड बैंक,चाईबासा में रक्तदान किया। ब्लड डोनर,चक्रधरपुर के सक्रिय सदस्य अमित मुखी ने जानकारी दी थी कि एक थैलेसीमिया का मरीज है जिसमें रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होने तथा शरीर में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण इस आपातकालीन स्थिति में उसे रक्त की आवश्यकता है। जिसे गंभीरता से लेते हुए बसंत महतो ने त्वरित रक्तदान करने का निश्चय किया एवं ब्लड बैंक,चाईबासा में जाकर रक्तदान किया। रक्तदान के बाद उन्होंने कहा कि ब्लड डोनेशन से हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है। रक्तदान से खून पतला होता है, जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है।
नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है।ब्लड डोनेशन सुरक्षित व स्वस्थ परंपरा है। इसमें जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर फिर से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बन जाता है।ब्लड डोनेट कर एक शख्स दूसरे शख्स की जान बचा सकता है।ब्लड का किसी भी प्रकार से उत्पादन नहीं किया जा सकता और न ही इसका कोई विकल्प है।देश में हर साल लगभग 250 सीसी की 4 करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है, जबकि सिर्फ 5,00,000 यूनिट ब्लड ही मुहैया हो पाता है।हमारे शरीर में कुल वजन का 7% हिस्सा खून होता है।आंकड़ों के मुताबिक 25 प्रतिशत से अधिक लोगों को अपने जीवन में खून की जरूरत पड़ती है। ब्लड की कमी का एकमात्र कारण जागरूकता का अभाव है।18 साल से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुष, जिनका वजन 50 किलोग्राम या अधिक हो, वर्ष में तीन-चार बार ब्लड डोनेट कर सकते हैं।ब्लड डोनेट करने योग्य लोगों में से अगर मात्र 3 प्रतिशत भी खून दें तो देश में ब्लड की कमी दूर हो सकती है। ऐसा करने से असमय होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।