चतरा/इटखोरी। 16 अप्रैल से लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाए के साथ जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभ हो गया। छठ पूजा मुख्य रूप से भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है। साल में दो बार छठ पूजा की जाती है। पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है और परिवार में सुख, शांति, धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। हालांकी इस बार कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से झारखंड में सरकार द्वारा पहले से ही दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। वहीं देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है और झारखंड में भी लगातार संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए त्योहार मनाना चाहीए। सूर्योपासना के महापर्व के पहले दिन का अनुष्ठान लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल और आंवलाका प्रसाद बनाकर व्रतियों ने ग्रहण किया। इसके बाद 17 अप्रैल को खरना के बाद शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत। 18 अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को और 19 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महापर्व का समापन हो जाएगा। जिसके बाद छठव्रती पारण करेंगी।