पलामू से सुधीर कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
मेदिनीनगर:पलामू टाइगर रिजर्व की टीम टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघों की तलाश में है. बाघों की सही संख्या जानने के लिए टीम ने तैयारी शुरू कर दी है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण 2022 में बाघों की गिनती की रिपोर्ट जारी करेगा. देश में जितने भी टाइगर रिजर्व क्षेत्र हैं, सभी जगहों में बाघों की गिनती शुरू हो गयी है।2018 की रिपोर्ट के अनुसार, पलामू टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं मिला था. बता दें कि फरवरी 2020 में पलामू टाइगर रिजर्व में एक बाघिन मृत मिली थी. हाल ही में लोहरदगा सीमा पर बाघ की मौजूदगी के सबूत मिले थे. इसके बाद पलामू टाइगर रिजर्व अलर्ट हुआ है।पलामू टाइगर रिजर्व के निर्देशक आशुतोष कुमार ने बताया कि बाघों की खोजबीन का पहला चरण शुरू हुआ है. बाघों की गिनती तीन चरणों में होगी. बाघों की गिनती में शामिल होने वाले कर्मियों की ट्रेनिंग दी जा रही है. वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और टाइगर रिजर्व के अधिकारी सभी को ट्रेनिंग दे रहे हैं।कुमार आशुतोष ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद बाघों का पता लगाने के लिए कैमरे और सेंसर लगाये जायेंगे. उसके बाद बाघों के स्कैट को वाइल्डलाइफ ऑफ इंडिया को भेजा जायेगा. बाघों के मल और डीएनए जांच के बाद बाघों की संख्या का पता चलेगा।कुमार आशुतोष ने बताया कि जुलाई 2022 से पहले गिनती पूरी करनी है. हर चार वर्ष में पूरे देश में बाघों की गिनती होती है. इससे पहले 2018 में बाघों की गिनती हुई थी।बता दें कि पलामू टाइगर रिज़र्व 1129.93 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत 1973 में की गयी थी. उस समय केवल 22 बाघ थे. 1995 में बाघों की संख्या बढ़कर 71 हो गयी थी. लेकिन इसके बाद बाघों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।2014 के बाघों की गणना के आकड़ों के अनुसार, पलामी टाइगर रिजर्व में मात्र तीन बाघ मिले थे. 2018 में बाघों की गणना के प्रारंभिक गणना के अनुसार, कैमरा ट्रैप, बाघों के मल और क्षेत्र भ्रमण के दौरान एक भी बाघ के मौजूद होने के सबूत नहीं मिले।