* सरकारी डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाये ।
* निजी अस्पतालों मे मनमानी रुपए की वसूली पर रोक लगाये ।
* दवा दुकानदारों की मनमानी पर अविलंब रोक लगाये जिला प्रशासन
रामगढ़: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य सह झारखंड राज्य के सहायक सचिव महेंद्र पाठक ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि रामगढ़ में निजी अस्पतालों के द्वारा कोरोना के नाम पर अवैध वसूली मरीजों के परिजनों से किया जा रहा है । जिसका जीता जागता नमूना साइं सेवायतन अस्पताल में देखा गया।, इस तरह से जिले के सभी अस्पतालों में अवैध उगाही का धंधा चल रहा है। लोग जान बचाने के चलते अपने गहना, जेवर ,कर्ज महाजन के बल पर भर रहे हैं । दवा दुकानदारों के द्वारा भी मनमानी वसूली की जा रही है । जीवन रक्षक दवाओं को सरकार को मुक्त कराना चाहिए , तो दूसरी ओर सरकारी डॉक्टरों के द्वारा निजी प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है । रामगढ़ के कई डॉक्टर अपना नर्सिंग होम खोलकर बैठे हुए हैं ।सरकारी अस्पतालों में ध्यान कम दे रहे हैं । बल्कि अपने निजी अस्पतालों में ज्यादा से ज्यादा कैसे अवैध रुपए की वसूली हो उसमें लगे हुए हैं। आम जनता की आक्रोश दिख रहा है। बावजूद जिस तरह से मनमानी चल रहा है ,जिला प्रशासन सख्ती दिखलाए। एक तरफ महामारी से आम जनता परेशान है। लॉकडाउन के कारण लोग घर में दुबके हुए है। रोज कमाने खाने वाले लोगों के लिए भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है । केंद्र की सरकार कोरोना महामारी की लड़ाई में विफल साबित हुई है । ए सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। लॉकडाउन राज्य सरकार पर छोड़ कर अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है। सरकार को चाहिए कि जरूरतमंद लोगों के बीच राहत कार्य चालू करें। गरीबों की हालत दिनोंदिन बदतर होता जा रहा है । एक तरफ महंगाई तो दूसरी तरफ महामारी तो तीसरे तरफ दवा के नाम पर अवैध वसूली इसे आम जनता परेशान है। इसीलिए जिला प्रशासन टास्क फ़ोर्स बनाकर जिले के अंदर अस्पतालों एवं दवा दुकानों पर शखक्ति बरतें । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मांग करती है कि सभी जरूरत मंद लोगों को जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, दवा इलाज एवं जरूरत के मुताबिक राशन सामग्री एवं आर्थिक सहयोग की व्यवस्था करें, सरकार केवल अखबारों में दावे कर रही है। लेकिन जमीन पर कुछ दिख नहीं रहा है। महामारी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है । साईं सेवायतन अस्पताल में मरीजों से ₹200000 की वसूली की गई ,जबकि सरकार हर अस्पतालों के मुताबिक रेट तय कर दी है । सिविल सर्जन जब जांच में गए, कार्रवाई करने के बजाए सभी मिलकर लीपापोती के काम किया। इससे स्पष्ट होता है कि लोग महामारी में भी अवसर देख रहे हैं। यानी अस्पष्ट है रामगढ़ सिविल सर्जन के मिलीभगत से सभी निजी अस्पतालों में मनमानी वसूली की जा रही है। प्रत्येक गांव में रोज लाशे निकल रही है । ऐसी बीमारी है कि परिजन भी साथ नहीं दे रहे हैं। वैसी परिस्थिति में सरकार की बड़ी जवाबदेही है कि आम जनता को जान बचाने के लिए आगे आए ।