रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर : गुरुकुल के निदेशक एवं राष्ट्रीय भ्रष्ट्राचार नियंत्रण एवं जनकल्याण संगठन के झारखंड प्रदेश के युथ सेल के आईटी को-ऑर्डिनेटर, मेट्रोपॉलिटन एसोसिएशन के झारखंड प्रदेश के एजुकेशन एवं कम्युनिटी प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री
गजेन्द्र नाथ चौहान ने एक बार फिर से छात्रों की समस्या के लिए आवाज़ उठाया है . उन्होंने कहा है कि जिस तरह ओड़िशा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कालेज में 15 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। उसी तरह झारखंड सरकार भी 10% आरक्षण की पहल करें. राज्य में जितने भी मेडिकल एवं
इंजीनियरिंग कालेज हैं उन कॉलेजों में सरकारी हाई स्कूलों के छात्रों को प्राथिमकता दे। उन्होंने कहा है कि आज मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में सरकारी हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं की संख्या में काफी हद तक कमी आई है l सरकारी स्कूलों में मेधावी छात्र हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को कोचिंग सेंटर्स उपलब्ध नहीं है इसलिए कई बार वे पिछड़ जाते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए जो मुख्य रूप से सरकारी हाईस्कूल में पढने वाले छात्र छात्राओं के लिए मेडिकल एवं इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में 10 प्रतिशत स्थान संरक्षित रखने के प्रस्ताव को कैबिनेट में पारित किया जाए . साथ ही साथ ये बात का भी ध्यान रखा जाए कि प्राइवेट स्कूलों के छात्र इसका गलत इस्तेमाल न करें उसके लिए भी ध्यान रखा जाए। जेईई ( JEE ) एवं नीट (NEET) जैसी एकक परीक्षा के प्रचलन के बाद से मेडिकल एवं इंजीनियरिंग में झारखंड के सरकारी हाईस्कूल एवं कॉलेज के छात्र छात्राओं की संख्या काफी हद तक कम हो गयी है l
खासकर पैसे वाले लोग अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए निजी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं। ऐसे में एक तरफ जहां सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में कमी आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ अक्सर देखा गया है कि मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करने वाले छात्रों में ज्यादातर निजी विद्यालय के ही छात्र रहते हैं। ऐसे में सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले गरीब घरों के बच्चे भी डॉक्टर एवं इंजीनियर बने तथा सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की रुचि बढ़े, उस दिशा में झारखंड सरकार को पहल करना चाहिए.उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे बहुत गरीब बच्चे है जो पढना तो चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति सही नही होने के कारण पढ़ नही पा रहे हैं,ऐसे बच्चो के लिए ये कारगर होगा वे लोग भी आगे जाकर मेडिकल एवं इंजीनियरिंग में जाने का सपना को साकार कर सकते हैं।इस कदम से सरकारी स्कूलों की शिक्षा में गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार आएगी एवं आरक्षण व्यवस्था कर दिए जाने से निश्चित रूप से सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का रूझान बढ़ेगा और इसका सीधे तौर पर गरीब मेधावी छात्रों को लाभ मिलेगा जो पैसे के अभाव में मेडिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे।