रांची:झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में 2017 से कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को सरकार ने हाशिए पर रखा है।इस संदर्भ में झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रदेश संरक्षक डॉ०एस०के०झा ने कहा कि 6 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों के हितार्थ बहुत अच्छा निर्णय लिया है। जबकि दूसरी ओर उच्च शिक्षा जिन घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के बल पर चल रही है, उसके मांग को हाशिए पर रखा गया।सहज सोचनीय बिंदु है कि वर्ष 2017 से वर्ष 2021 तक इन शिक्षकों का एक पैसा भी मानदेय नहीं बढ़ाया गया है। इनके मासिक मानदेय में घोर असमानता के बाबजूद अपने मांग मनवाने हेतु लंबे समय से संघर्षरत, इन शिक्षकों के साथ सरकार न्याय करने से लगातार कतराते रही है। विदित हो कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में व अंगीभूत महाविद्यालयों में लगभग 900घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक कार्यरत है। यूजीसी रेगुलेशन के तहत व स्वीकृत रिक्त पदों पर नियुक्त ये शिक्षक निश्चित मासिक मानदेय तथा 65 वर्ष के आयु तक नौकरी स्थायी करने की मांग काफी लंबे अर्से से कर रहे हैं। हरियाणा सरकार व अन्य राज्य सरकार ने अपने यहां कार्यरत ऐसे शिक्षकों को यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार मानदेय के साथ 65 वर्ष की आयु तक नौकरी स्थायी की है। जबकि हमारे यहां इन शिक्षकों को हाशिए पर रखा जा रहा है।