कांड्रा से के दुर्गा राव की रिपोर्ट
कांड्रा: राज्य सरकार को पारा शिक्षकों के स्थायीकरण और वेतनमान के लिए प्रस्तावित सेवा शर्त नियमावली को तमाम विरोधों को नजरंदाज करते हुए अविलंब लागू करना चाहिए. आवश्यक नहीं कि सभी के तुष्टिकरण के लिए नियमों को ताक पर रख कर नियमावली बनाने के चक्कर में विलंब हो. सरकार अपनी चुनाव पूर्व घोषणा के लिहाज से एक रूटीन वर्क के तहत भी नियमावली पारित करा सकती है. उक्त बातें गुरूवार को एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी कुणाल दास ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही. उन्होंने कहा कि पारा शिक्षकों के बीच ही कुछ ऐसे लोग हैं जो या तो अवैध रूप से नियुक्त हैं या फिर उनका शैक्षणिक प्रमाण पत्र ही फर्जी है. ऐसे लोग जानते हैं कि वे किसी भी तरह की नियमावली में फिट नहीं बैठते. बस यही वजह है कि वे नियमावली का लगातार तर्कहीन विरोध कर रहे हैं. ऐसे लोगों के पास कोई वैकल्पिक रोड मैप भी नहीं है,बस विरोध के लिए विरोध की तर्ज पर बखेड़ा खड़ा कर पारा शिक्षकों और सरकार दोनों को ही गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने राज्य के तमाम पारा शिक्षकों ख़ासकर वैसे पारा शिक्षक जो टेट पास नहीं हैं, उनसे अपील की है कि ऐसे नकारात्मक लोगों के बहकावे में न आएं और हर स्तर पर उनका विरोध करें. उन्होंने आगाह किया कि नयी शिक्षा नीति लागू होने से पहले ही सभी को सेफ जोन में जाना होगा वरना सबकी विदाई तय है. वर्तमान में प्रस्तावित नियमावली के तहत आकलन परीक्षा ही अंतिम रास्ता है जिससे भविष्य सुरक्षित हो सकता है और अगर यह मौका हाथ से छूटा तो काफ़ी देर हो चुकी होगी. विदित हो कि मार्च 2022 के बाद केंद्र सरकार गैरटेट पारा शिक्षकों के लिए केंद्रांश देना बंद कर देगी. इसके बाद अगर राज्य सरकार खुद से पारा शिक्षकों को हटाती नहीं भी है तो पारा शिक्षकों का भुगतान करने में सरकार अक्षम रहेगी. तब पारा शिक्षकों के लिए विकट परिस्थिति उत्पन्न हो जाएगी. इस लिहाज से नियमावली महत्त्वपूर्ण है और सभी पारा शिक्षकों को इसका स्वागत करना चाहिए.