रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर: चक्रधरपुर नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 18 में संचालित दंदासाई उर्दू मिडिल स्कूल की शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. इसका एकमात्र कारण शिक्षकों की घोर कमी है. जानकारी के मुताबिक उक्त विद्यालय में वर्ग 8 तक की शिक्षा दी जाती है. लेकिन एकमात्र ही शिक्षिका विद्यालय में कार्यरत है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूल का संचालन कैसे होता होगा.
वर्ष 2018-19 में ग्रेड-4 में प्रोन्नति के बाद उक्त विद्यालय को शिक्षक मिले थे. स्नातक विज्ञान शिक्षक सुरेंद्र कुमार, स्नातक भाषा शिक्षक गौरी शंकर दास और स्नातक कला शिक्षक परमेश्वर महतो विद्यालय में कार्यरत थे. युक्तिकरण के पश्चात सबसे पहले महफूज उर रहमान का स्थानांतरण उत्क्रमित मध्य विद्यालय लवजोड़ा और उर्दू शिक्षिका निकहत परवीन का स्थानांतरण उत्क्रमित मध्य विद्यालय बोड़दा हो गया. उसके बाद सुरेंद्र कुमार फिर प्रभारी प्रधानाध्यापक गौरी शंकर दास सेवानिवृत्त हो गए. 31 जुलाई को परमेश्वर महतो का भी रिटायरमेंट हो गया. 1 अगस्त से विद्यालय में एक मात्र शिक्षिका सैरून बेगम सेवा दे रही है. 2022 में वह भी सेवानिवृत्त हो जाएगी. यह विद्यालय उर्दू माध्यम का है. लेकिन उर्दू पढ़ाने के लिए भी कोई शिक्षक नहीं है. सैरुन बेगम भी सामान्य शिक्षिका है.
इस विद्यालय में बंगलातांड, मिल्लत कॉलोनी, दंदासाई, अंसार नगर, कोल साई आदि जगहों के उर्दू भाषी बच्चे पढ़ाई करते हैं. शिक्षक नहीं रहने से बच्चों का नामांकन लगातार घट रहा है. कभी 500 नामांकन वाले इस विद्यालय में अब 120 बच्चे ही नामांकित रह गए हैं.
विद्यालय संचालन बहुत मुश्किल हो गया है : अध्यक्ष
विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष पीरुल हक़ के मुताबिक विद्यालय का संचालन बहुत मुश्किल हो गया है. विभाग की ओर से हर दिन रिपोर्ट मांगी जाती है. जिसका संग्रह करना अति कठिन हो गया है. लॉक डाउन में विद्यालय बंद है, लेकिन खुलते ही अकेली शिक्षिका द्वारा एक से 8 क्लास तक का संचालन कर पाना असंभव है. अभिभावको में रोष है, जिसका कोपभाजन हमें रोज झेलना पड़ रहा पर है.
विधायक के आग्रह को भी विभाग नहीं माना
एसएमसी अध्यक्ष पीरुल हक़ बताते हैं कि विद्यालय के संदर्भ में पुरी जानकारी विधायक सुखराम उरांव को दी गई. उन्होंने उपायुक्त से भी शिक्षक देने का आग्रह किया. उपायुक्त द्वारा डीएसई को विद्यालय में शिक्षक पदस्थापित करने का आदेश भी दिया गया. लेकिन महीनों बाद भी अब तक विद्यालय को शिक्षक नहीं मिले हैं.