खूंटी : जिले में बढ़ते अंधविश्वास के मामलों में कब कमी आएगी। जिला प्रशासन ने अंधविश्वास को खत्म करने की योजना बनाई है। झारखण्ड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जेएसएलपीएस के माध्यम से महिला मंडल की दीदियों द्वारा गांव गांव घूमकर डायन मामलों की पड़ताल की जा रही है। जिले में अब कोई किसी को डायन कहकर नही बुलाएगा और न ही कत्ल होगा। डायन भूत के नाम पर ओझाओं की भी दूकानें बंद होगी।
ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन ने नुक्कड़ नाटक, बैनर पोस्टर के माध्यम से जागरूकता अभियान चला रखा है। खास कर ऐसे इलाकों में ये अभियान चलाया जा रहा है जिन इलाकों में पूर्व में कई घटनाएं घट चुकी है। कई पीड़ित आज भी न्याय के लिए न्यायालय का चक्कर काट रहे है लेकिन उन्हें इंसाफ नही मिल पा रहा, कारण डायन के नाम पर लगातार हो रही हत्याएं। हालांकि कुछ मामलों में न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ सख्ती बरती है और आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजने का कार्य किया है। बावजूद अब भी डायन के नाम पर प्रताड़ित एकल महिलाएं, विधवा महिलाएं और कमजोर तबके के लोग आज भी डर के साये में दर-ब-दर जीवन गुजरने को विवश हैं।
डायन के नाम पर खूंटी जिले में उग्रवादी और नक्सली घटनाओं से ज्यादा मर्डर की घटनाएं सामने आती हैं। डायन मामले में कई हत्या के मामले 10-15 दिनों बाद थाना तक पहुंचते हैं। ऐसे में डायन मामलों में हत्यारोपियों तक पहुंचना पुलिस के लिए चुनौती बन जाता है।
झारखंड को डायन मुक्त बनाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जेएसएलपीएस के माध्यम से गरिमा परियोजना का संचालन किया गया जा रहा है। जिले के रनिया प्रखंड के तीन पंचायतों के 29 गांवों में लगातार 15 दिनों तक नुक्कड़ नाटक, रैली आदि के माध्यम से लोगों को डायन कुप्रथा के खिलाफ जागरूक किया गया। इस दौरान कुल 36 महिला-पुरूषों ने स्वंय को डायन पीड़ित बताया है जबकि 60 से ज्यादा डायन से जुड़े मामलों की शिनाख्त जेएसएलपीएस की दीदियों द्वारा की गई है। डायन मामलों की केस स्टडी जेएसएलपीएस के द्वारा तैयार करने के बाद प्रखंड कार्यालय के सभागार में जन सुनवाई सह जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि एसडीएम सैयद रियाज अहमद शामिल हुए।
अपने संबोधन में एसडीएम ने कहा कि डायन सामाजिक कुरीति है। किसी को डायन कहने वाला व्यक्ति सामाजिक और मानसिक रूप से बीमार होता है। उन्होंने कहा कि आज बहुत से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि लोग जमीन की लालच में कमजोर लोगों को डायन कहकर प्रताड़ित करते हैं। उन्होंने कहा कि इस कुरीति को हटाना सामाज का नैतिक दायित्व है। उन्होंने महिलाओं समेत आम आदमी से आह्वान किया कि आप आगे आऐं। सबसे पहले स्वंय इसके खिलाफ अभियान शुरू करें। उन्होंने पद्मश्री से सम्मानित छुटनी देवी से सीख लेते हुए सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया।
एसडीएम ने कहा कि शिक्षा के बल पर सामाजिक कुरीति को दूर किया जा सकता है। विद्यालयों और अस्पतालों का संचालन सही ढ़ंग से हो यह ग्रामसभा सुनिश्चित करे। अगर शिक्षक विलम्ब से आते हैं, तो उन्हें ग्रामसभा में बुलाकर पूछें। शिक्षकों में ग्रामसभा का डर होना चाहिए। ग्रामसभा चाहे तो गांव का एक भी बच्चा अशिक्षित नहीं रहेगा।
रनिया में अब डायन का कोई मामला ना आए
उन्होंने जेएसएलपीएस से जुड़ी दीदीयों समेत रनिया के विभिन्न गांवों से आये ग्रामप्रधानों से अपील किया कि अब यह कोशिश हो कि रनिया से एक भी डायन का मामला सामने ना आए। इसके लिए जिला प्रशासन हर कदम पर सहयोग करने को तैयार है।
जेएसएलपीएस के डीपीएम शैलेश रंजन ने कहा कि सामाजिक जागरूकता पैदा करते हुए ग्रामसभाओं को पीड़ितों के पक्ष में बोलना होगा। उन्होंने कहा कि किसी कमजोर महिला को डायन कहने वाले का समर्थन किसी भी हाल में ग्रामसभा को नहीं करना चाहिए। वह दोषी होता है और उसके खिलाफ ही ग्रामसभा को कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने सखी मंडल की दीदीयों से सिर्फ वित्तीय लेन-देन करने ही नहीं सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की दिशा में आगे आने को कहा गया। उन्होंने कहा कि समूह की बैठक में यह निर्णय लें कि ना किसी को डायन कहेंगे और ना कहने देंगे। उन्होंने खटंगा संकुल के सभी तीन पंचायतों को जल्द डायन मुक्त बनाने का आह्वान किया।
सीएलएफ की अध्यक्ष मीना देवी ने कहा कि अगर ग्रामसभाऐं साथ दें तो वह दिन दूर नहीं होगा, जब सम्पूर्ण रनिया डायन मुक्त हो जाएगा। कार्यक्रम को आत्मा परियोजना के आत्मा परियोजना के उपनिदेशक अमरेश कुमार, बीडीओ, सीओ, थाना प्रभारी रौशन कुमार, कार्यक्रम के कोडिनेटर रमेश नायक, जिला अनुश्रवण समिति के सदस्य अजय शर्मा, बीपीएम सुषमा मुंडा, वाईपी कम्यूनिकेशन नमन कुमार, नंदनी कुमारी समेत काफी संख्या में महिलाऐं शामिल हुईं।
रनियां प्रखण्ड के तीन पंचायत में JSLPS द्वारा किया गया सर्वे, डायन प्रताड़ना के मामले 60 से ज्यादा
रनिया प्रखंड के मात्र तीन पंचायतों बनई, डाहू और खटंगा में 20 दिनों तक चलाये गए अभियान में डायन कहकर प्रताड़ित किये जाने वाले 36 लोगों ने सामने आकर यह बताया है कि उन्हें डायन कहकर सालों से प्रताड़ित किया जा रहा है। 60 से ज्यादा मामले उजागर हुए हैं जिसमें कई मामले काफी गंभीर हैं। कमजोर और बेसहारा महिलाओं को डायन कह-कह कर उनके जीवन को नारकीय बना दिया गया है।
रनिया में आयोजित जन सुनवाई सह जागरूकता कार्यशाला में ईटम गांव का एक मामला सामने आया है, जिसमें यह बताया गया कि पीड़िता के पति झाड़-फुंक करते थे। इसी बीच एक व्यक्ति की मौत हो गई। और सारा दोष पीड़िता के पति पर लगाया गया। जिसके बाद उनसे 60 हजार रूपये ग्रामसभा ने और ओझ़ा मति को देने के लिए अलग से 25 हजार रूपये लिये गए। ये पैसे उनके द्वारा जेवर और जमीन बेचकर चुकाये गए। इसके साथ ही बाप-बेटा को गंगा तीर्थ कराने की बात कहकर भरी सभा में मुंडन कर दिया गया। जिसके बाद से पीड़िता का पूरा परिवार डर और जिल्लत की जिंदगी जी रहा है।
उलुंग गांव में एक महिला के जेठानी के बेटे की मौत बीमारी से हो गई थी, जिसके बाद पीड़िता को डायन कहकर 3000 रूपये का जुर्माना लिया गया। महिला के पास रहने को अपना एक जर्जर मिट्टी का घर है। उसने जेएसएलपीएस से एक मकान दिलाने की मांग की है।
गरई गांव की एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई है कि उसका पड़ोसी 2018 में बीमार पड़ा था और पीड़िता के पति की मौत हो गई थी। तब पीड़िता पर आरोप लगा कि उसने अपने पति को डायन विद्या से मार दिया। और पड़ोसी को बीमार कर दिया है। महिला की उम्र 65 वर्ष है। उसे पीला कार्ड पर 35 की जगह 20 किग्रा अनाज मिलता है। उसके पास ना तो आधार कार्ड है, ना पेंशन मिलता है और ना पासबुक है।
लोहागड़ा गांव में एक महिला बार-बार एक व्यक्ति का स्पन देखती थी। उसने गांव में किसी से यह बात बताई। उसने कहा कि तुम उस व्यक्ति को तीन बार छू लो तो फिर वह सपने में नहीं आएगा। उस महिला ने ऐसा ही किया। जिसके बाद उसने जिसे छुआ था वह व्यक्ति बीमार हो गया और महिला को डायन करार दे दिया गया। इस दौरान ग्रामसभा में दोनो पक्ष को पांच-पांच हजार रूपये जुर्माना भरना पड़ा और महिला से अलग से नौहजार रूपये खाने-पीने के नाम पर लिया गया।
गोहराम गांव में एक दम्पत्ति को 15 साल पहले डायन कहकर हत्या करने के बाद शवों को नदी में फेंक दिया गया था। जिसके बाद उसके लोग घर छोड़कर बाहर चले गए। 15 सालों बाद जब वे गांव लौटे तो अभी भी उन्हें डायन कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है।
रनिया के तीन पंचायतों में किये गए सर्वे के बाद 60 से ज्यादा मामले सामने आये हैं। ऐसी कई कहानियां खूंटी जिले के गांवों में हैं। जहां कमजोर और लाचार महिलाओं के माथे पर डायन होने के कलंक का टीका लगाकर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। जो बेबस सब कुछ सहते हुए हर दिन मर-मर कर जी रहीं हैं।
जेएसएलपीएस कर रहा है प्रयास
गरिमा परियोजना के माध्यम से डायन कुप्रथा की रोकथाम हेतु जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। डायन कुप्रथा के शिकार महिलाओं की पहचान कर उन्हें सामुदायिक संगठनों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान कराने का काम किया जा रहा है। इच्छानुसार आजीविका वैकल्पिक स्वरोजगार से जुड़ने के अवसर एवं तकनीकी मदद दी जा रही है। ग्राम स्तर पर समुदाय आधारित सुरक्षा दल की स्थापना हो रही है। विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से पीड़ितो की हक-अधिकार को सुनिश्चित करने की कोशिश हो रही है। सामाजिक, मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं कानूनी परामर्श सेवा दिलाने में सहयोग किया जा रहा है। उम्मीद है आनेवाले समय मे जिले में बढ़ती डायन हत्या के मामलों में कमी आएगी और जनजातीय समाज की अंधविश्वास की नकारात्मक परम्पराएं दूर होंगी। डायन हत्या के मामलों में कमी आने से खूंटी में हत्या का ग्राफ तेजी से कमेगा और विकास की रफ्तार बढ़ेगी।