रांची: आज IICM एम्प्लॉयी यूनियन के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने साथ राज्य के श्रम एवं नियोजन मंत्री संत्यानंद भोक्ता से मुलाकात की। श्रमिकों की समस्याओं एवं प्रबंधन के द्वारा लगातार उनकी उपेक्षा और शोषण से संबंधित एक ज्ञापन मंत्री को सौंपा । शिष्टमंडल ने मंत्री को संस्थान आने का आग्रह करते हुए कहा कि एक बार आप स्वयं संस्थान आकर सभी श्रमिको से मिलकर खुद उनकी समस्याओं से अवगत हों ।
मंत्री ने शिष्टमंडल को आस्वस्थ किया कि अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में वो एक बार संस्थान का दौरा अवश्य करेंगे , सरकार श्रमिक हितों की अनदेखी से किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी निरीक्षण के दौरान अगर कुछ भी गलत पाए जाने पर करवाई अवश्य करेगी ।
आई.आई.सी.एम संस्थान के श्रमिक आई.आई.सी.एम प्रबंधन द्वारा शोषण के निम्न बिंदुओं पर मंत्री का ध्यानाकृष्ट करवाया जो इस प्रकार है ।
आई.आई.सी.एम,कांके में 1994 (स्थापना) के समय से विभिन्न संविदा के तहत 258 श्रमिक लगातार 26 वर्षों से कार्यरत हैं ।इन श्रमिकों को कोल इंडिया के द्वारा स्थायीकरण कर देना चाहिए था पर प्रबंधन के संवेदनहीन रवैये के कारण आज तक नही हो सका है , श्रमिक करीब 90% एसटी,एससी, ओबीसी एवं अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं ।आईआईसीएम प्रबंधन स्थायीकरण नहीं किये जाने से लगातार निविदा प्राप्त संवेदको द्वारा 26 वर्षों से श्रमिक का शोषण बदस्तूर जारी है एवं आई.आई.सी.एम प्रबंधन द्वारा शोषण करने के लिए खुली छूट दे रखी गयी है । श्रमिकों का आंदोलन करने पर आई.आई.सी.एम,कांके के प्रबंधन ने 258 श्रमिकों को संवेदक बदलने पर भी कार्य पर रखें रहा जो अभी तक हैं क्योंकि इन श्रमिकों की कार्यकुशलता बहुत अच्छी है।
संविदा के तहत गार्डन विभाग भी है ,आई.आई.सी.एम,कांके में उसमें माली का कार्य 17 श्रमिक करते हैं जिसे 2009 तक कुशल श्रमिक का वेतन प्रबंधन करते आया,परंतु 2010 में प्रबंधन ने संविदा में उस वेतन की कटौती करते हुए अर्ध कुशल का वेतन भुगतान करने लगा जो अभी तक जारी है तथा यह संवैधानिक है।
प्रबंधन ने ग्रेच्युटी का प्रावधान हम श्रमिकों का संविदा में किया जिसके लिए सभी विभाग में कार्यरत श्रमिकों का अलग-अलग एल.आई.सी (भारतीय जीवन बीमा निगम) से मिलकर ट्रस्ट का निर्माण करवाया ताकि उस ट्रस्ट द्वारा ग्रेजुएटी का भुगतान एल.आई.सी (भारतीय जीवन बीमा निगम) को होते रहे पर बहुत से संवेदकों ने श्रमिकों का ग्रेजुएटी का पैसा ट्रस्ट को भुगतान ही नहीं किया एवं प्रबंधन ने उस पैसे को संवेदक से कटौती तो किया पर हम श्रमिकों का प्रबंधक द्वारा बनाया हुआ ट्रस्टी में भी पैसा जमा अभी तक नहीं किया जिसमें कई श्रमिकों का आकस्मिक मृत्यु पर कोई पैसा उनके आश्रित परिवारों को नहीं मिला।
प्रबंधन ने संविदा में 100 सालाना इंक्रीमेंट देने का प्रावधान श्रम विभाग के समझौते के तहत रखा है जिसे प्रबंधक हटाने का प्रयास कर रहा है।
श्रमिकों को संवेदक बदलने के बाद भी दूसरे संवेदक द्वारा उसका पहले का वेतनमान दिया जाता था पर इस बार के संविदा हो रहा है उसमें सभी आने वाले संवेदक को प्रबंधन कटौती कर के भुगतान करने को कहा जा रहा है।
प्रबंधन 25% श्रमिकों को कटौती करने का विचार कर लिया है जिसे कभी भी लागू कर सकता है।
प्रबंधन के घोर लापरवाही के कारण अभी तक 4 विभाग का संविदा पूरा नहीं किया गया जिसमें से तीन विभाग हैं, सीटेट एवं गुरुकुल विभाग से जाना जाता है जिसमें एक विभाग में 82 श्रमिक कार्य कर रहे हैं एवं एक विभाग में 54 श्रमिक कार्य कर रहे हैं एवं सिक्योरिटी विभाग में 38 श्रमिक कार्य कर रहे हैं जिससे प्रबंधन विगत 2 महीनों से कार्य ले तो रहा है पर उसका वेतन भुगतान नहीं कर रहा है।
यूनियन ने मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर यथोचित करवाई करने का आग्रह किया । यूनियन के शिष्टमंडल में विजय कुमार शर्मा नूर आलम धर्मेन्द्र कुमार जया महतो जयप्रकाश यादव मनोज कुमार सिंह नितेश कुमार सिंह एवं आर के मिश्र शामिल थे।