– कांग्रेसी विधायक ने मुख्यमंत्री से की मांग
– कहा, शराबबंदी लागू कर झारखंड को बचाएं
गोड्डा से अभय पलिवार की रिपोर्ट
गोड्डा: महागामा की विधायक सह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सचिव दीपिका पांडेय सिंह ने झारखंड की महागठबंधन सरकार के मुखिया से राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि झारखंड में शराब बंदी लागू कर झारखंड को बचाएं ।
मालूम हो कि झारखण्ड में सरकारें शराब के उत्पाद और विक्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समय- समय पर मद्य उत्पाद निषेध नीति में फेरबदल करती रही हैं। वर्तमान में हेमन्त सोरेन की सरकार ने भी हाल में मद्य उत्पाद निषेध नीति को एक नया रूप दिया है। मगर समाज के लिए यह चिन्ता एवं तकलीफ का विषय है कि किसी भी सरकार ने जनभावना का सम्मान करते हुए झारखण्ड में पूर्ण शराबबंदी का कोई कदम नहीं उठाया।
विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि झारखण्ड में शराबबंदी लागू कर झारखण्ड को बचाएं। ऐसा कर वह न केवल यश और करोड़ों जनता के आशीर्वाद के भागी होंगे, बल्कि उन्हें दिसोम गुरु शिबू सोरेन के सपनों को भी साकार करने का मौक़ा मिलेगा। सामाजिक सुधार आंदोलन के क्रम में शिबू सोरेन ने हमेशा मद्य निषेध की वकालत की है।
विधायक के अनुसार, यदि हम लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्श के अनुसरण की बात करते हैं तो हम यह नहीं भूल सकते की राष्ट्रपिता भी शराब को सभी बुराइयों की जड़ मानते हुए पूर्ण मद्य निषेध के पक्ष में थे।
झारखण्ड तो वह भूमि है, जहां के आदिवासी समाज ने एक सदी पूर्व पूरे भारत के समक्ष सम्पूर्ण मद्य निषेध की मिसाल पेश की थी। झारखण्ड के ‘टाना भगत’ आदिवासी समुदाय के लोग पूरे देश में सम्मान की नजर से देखे जाते हैं। क्योंकि ‘टाना भगत’ मन और आचरण से सम्पूर्ण मद्य निषेध का पालन करते हैं। जिस समाज को महात्मा गांधी का सच्चा अनुयायी होने का गौरव प्राप्त है, जिस समाज से महात्मा गांधी स्वयं बहुत प्रभावित थे, क्या उस झारखण्ड में सम्पूर्ण मद्य निषेध नहीं हो सकता है ?
विधायक ने कहा है कि
शराब के कारण न केवल एक परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद होता है, बल्कि एक पूरी नस्ल इसके कुप्रभाव के चपेट में आ जाती है। शराब के कारण महिलाओं पर विविध नृशंस अत्याचार और अपराध होते हैं। शराब नाबालिगों के संग अपराध सहित अन्य अपराधों की जड़ रही है। सरकार को शराब को लेकर पिछले 21 वर्षों का सोशल-इकोनॉमिक-हेल्थ इम्पैक्ट सर्वे करवाना चाहिए, ताकि पता चले कि शराब के कारोबार से राज्य और राज्य के लोगों ने क्या खोया और क्या पाया। शराब के कारण झारखण्ड के ह्यूमन रिसोर्स का नुकसान ही हुआ है।
विधायक श्रीमती सिंह के अनुसार, महज राजस्व संग्रह के नाम पर सम्पूर्ण मद्य निषेध की मांग को अनसुना नहीं किया जा सकता है। क्योंकि झारखण्ड में राजस्व पैदा करने के अन्यान्य विपुल संसाधन और संभावनाएं मौजूद हैं, जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है । देश के कई राज्यों में सम्पूर्ण मद्य निषेध है तो ऐसा झारखण्ड में क्यों नहीं हो सकता?
झारखण्ड में सम्पूर्ण मद्य निषेध हो, यह महिलाओं सहित समाज के विभिन्न वर्गों का मांग है जिस पर सरकार को अविलम्ब ध्यान देने की आवश्यकता है।
विधायक ने कहा है कि उन्होंने पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार का भी ध्यान इस मामले में आकृष्ट किया था कि बजाय शराब बेचने के सरकार को उन सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के समाधान के विषय में सोचना चाहिए जिसका मुख्य कारण शराब है। और यह समस्याएं तभी समाप्त हो सकती हैं जब मद्य निषेध हो। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने हड़िया और दारु बेचने वाली महिलाओं के पुनर्वास और उनके वैकल्पिक रोजगार के लिए कदम उठाये हैं, जिससे आशा बंधी है कि सरकार जनभावना का सम्मान करते हुए पूर्ण पाबन्दी लगाएगी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शराब नारी उत्थान और सशक्तिकरण में सबसे बड़ा बाधक है। अगर झारखण्ड में पूर्ण शराबबंदी नहीं होती है तो ऐसे में आंदोलन के विभिन्न स्वरुप और विकल्प पर विचार किया जाएगा।