बोकारो से जय सिन्हा
बोकारो: वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते प्रसार को देखते हुए झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने सभी अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से अलग रखने की मियाद नौ मई तक बढ़ा दी है जो आगे भी बढ़ने की संभावना है। विषम परिस्थिति में अधिवक्तावो की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है। वकीलो के राष्ट्रव्यापी संस्था इंडियन एसोशिएशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल कौंसिल मेंबर अधिवक्ता रणजीत गिरि ने वकीलों को शत प्रतिशत वर्चुअल कोर्ट में शामिल होने की स्वीकृति देने की मांग की है । उन्होंने बताया कि वकीलों को घर से काम करने की छूट मिलनी चाहिए । इसके लिए ई – कोर्ट की साइट को और अपडेट करने की जरूरत है। कोर्ट मे पूर्व की भांति स्केन करके ऑनलाइन याचिका दाखिल करने से कैरोना जैसे महामारी से भी निजात मिलेगा और जेल में बंद कैदियों के जमानत याचिका जैसे अति आवश्यक कार्य भी संपन्न होगा। जिससे जेलों मे बंद कैदियों के दवाब से भी मुक्ति मिलेगी। साथ ही साथ एफआईआर को ई- कोर्ट के वेबसाइट पर डाला जाय , ताकि वकील ऑनलाइन इसे देख सकें । अधिवक्ता घर बैठे वर्चुअल बहस कर सके तथा इंटरनेट के माध्यम से जमानत एवं अन्य याचिका दाखिल कर सकें । इस संबंध मे झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा झारखंड स्टेट बार काउंसिल को भी पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया है। जिसमें सौ फीसदी वर्चुअल कोर्ट चलाने की मांग की गई है । इंडियन एसोशिएशन ऑफ लॉयर्स ने स्टेट बार काउंसिल से अधिवक्ताओं के वेलफेयर फंड से आर्थिक सहायता करने की भी गुहार लगाई है । उन्होंने कहा कि यह सच है कि कोरोना संक्रमण से हमने अपने कई वकील साथियों को खो दिया है । इनमें से कई अधिवक्ता ऐसे थे जो अपने परिवार के एकमात्र कमाउ सदस्य थे । पिछला साल भी लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया। इस साल भी वकील घर पर बैठे हैं । केंद्र और राज्य सरकारों को भी एसोसिएशन ने मदद के लिए पत्र लिखा है लेकिन अभी तक वकीलों की मदद के लिए कोई सरकार आगे नहीं आई है जो चिंता का बिषय है।