नितेश रंजन की रिपोर्ट
पथरगामा : बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए तत्पर जिला प्रशासन ने प्रखंड के सोनारचक गांव में एक ही रात होने वाली तीन नाबालिगों की शादी पर रोक लगाने में कामयाबी पाई।
बृहस्पतिवार रात को जिला बाल संरक्षण इकाई को पथरगामा प्रखंड के सोनारचक पंचायत अंतर्गत गांव में 3 नाबालिग बच्चियों की शादी तय होने की सूचना मिली। संरक्षण पदाधिकारी विकास चन्द्र ने बताया कि मामलें को संज्ञान में लेते हुए सभी संबंधित पदाधिकारी को जानकारी दी गई एवं त्वरित कार्रवाई करते हुए बाल संरक्षण एवं प्रशासन की टीम उक्त गांव पहुंची। मामले की छानबीन कर तीनों नाबालिगों की शादी रोकी गई एवं उनके परिजनों को सख्त हिदायत दिया कि विवाह के लिए कम से कम लड़की की उम्र 18 वर्ष एवं लडके की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए, अन्यथा यह बाल विवाह अपराध की श्रेणी में आएगा, जो एक दंडनीय अपराध है।
बाल संरक्षण की टीम ने परिजनों एवं बालिकाओं की काउंसलिंग की और साथ ही ग्रामीणों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की विस्तृत जानकारी दी।उन्होंने कहा कि उक्त अधिनियम का उल्लंघन करने वाले को एक लाख जुर्माना और दो वर्ष का कारावास का प्रावधान है। बाल विवाह में शामिल होने वाले धार्मिक गुरु, नाई, हलवाई, टेंट वाला, बाजा वाला,वीडियोग्राफर, विवाह भवन के संचालक आदि सभी जो इस विवाह को संपन्न कराने में भूमिका निभाते हैं, वे दोषी कहलाएंगे।
सभी बालिकाओं के परिजन,अभिभावकों ने लिखित शपथ-पत्र सौंप कर बाल विवाह न करने का आश्वासन दिया। यदि वे भविष्य में उक्त अधिनियम का उल्लंघन करते हैं तो उनके विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।मौके पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी सह बाल विवाह नोडल पदाधिकारी रितेश कुमार, प्रभारी प्रखंड विकास पदाधिकारी सह अंचलाधिकारी संतोष कुमार बैठा, थाना प्रभारी बलिराम रावत, बाल संरक्षण की टीम एवं पुलिस बल मौजूद थे । जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने बाल संरक्षण की टीम, पथरगामा प्रखंड प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को बधाई दी।