खूंटी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते ही कांग्रेस ने सरकार पर कटाक्ष करना शुरू कर दिया। कांग्रेस के दिग्गजों ने कहा कि आखिर केंद्र को झुकना ही पड़ा। कांग्रेस और किसानों के भारी विरोध के आगे झुकना पड़ा केंद्र सरकार को। किसानों का डर और पांच राज्य खोने का डर सताने लगा था भाजपा को जिससे भाजपा और केंद्र सरकार को कृषि बिल को वापस करना पड़ा। कांग्रेस के दिग्गज सांसद सह आल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य्क्ष शशि थरूर और झारखंड के वित्त एंव खाद्य सुरक्षा मंत्री रामेश्वर उरांव ने केंद्र सरकार को डरपोक बताया।
कोई भी सरकार चाहे जितनी भी बहुमत से आए लेकिन सत्तासीन होने के बाद उसे अपना गुरुर छोड़कर जनता के अनुरूप कानून बनाना चाहिए। खूंटी की जनता को संबोधित करते हुए शशि थरूर ने कहा खूंटी की जनता से कहा कि आप जनता है और आप ही लोकतंत्र के मालिक है। उन्होंने यह भी कहा जनता जो चाहेगी उसे ही सत्तासीन सरकार को करना चाहिए। उन्होंने खूंटी की जनता को कहा कि आप ही देश के मालिक है और आप जो पसंद करते है वही सरकार को करना चाहिए। जनता के हित में सरकार को नीतिनिर्धारण करना चाहिए और जनता की राय जानने के बाद जनता की भलाई के लिए काम करना चाहिए और यदि सरकार अहंकारी हो जाये तो उसे सत्ता से बेदखल करने का भी अधिकार भी जनता को है। कांग्रेस के दिग्गज सांसद सह प्रोफेशनल AIPC के राष्ट्रीय अध्यक्ष है शशि थरूर और उन्होंने कृषि कानून के भाजपा के अड़ियल रवैये को कानूनी आतंकवाद भी करार दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से किसान कृषि कानून का विरोध कर रहे थे और आंधी पानी ठंड और तपती धूप में भी देश भर के किसान आंदोलनरत रहे इसके बावजूद केंद्र सरकार तस से मस नही हुई। लेकिन जैसे ही पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव नजदीक आने लगा मोदी सरकार को अपने निरंकुश फैसले को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा।
किसानों के बढ़ते देशव्यापी विरोध ने मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर किया लेकिन वही सांसद शशि थरूर ने यह भी आंशका जताई है कि यह भी चुनाव के बाद संभावना है कि कृषि कानून को फिर से पटल पर लाएं। ऐसे में देखना होगा कि मोदी सरकार चुनावी फायदे के लिए बिल वापस ले रही या फिर स्थाई समाधन के तहत कृषि कानून को पूरी तरह रद्द करेगी। जबकि झारखंड के वित्त सह खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि किसानों के विरोध के कारण सरकार डर गई और बिल वापस ले लिया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार कृषि कानून को पूरी तरह वापस करती है तब भी कांग्रेस न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) के लिए किसानों के हित मे किसान आंदोलन के साथ खड़े रहेंगे।