रांची: बुधवार को आम आदमी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल चान्हो प्रखंड के पतरातू गांव पहुंचा और वहां कुएं में कूदकर आत्महत्या करने वाले मनरेगा किसान लखन महतो के परिजनों से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान आत्महत्या की वजह जानने की कोशिश की गई।स्वर्गीय लखन महतो के पुत्र सूरज ने बताया कि उनके पिता लखन महतो सालभर से ज्यादा समय से मनरेगा के तहत बने कुएं के लंबित पैसे के भुकतान के लिए चक्कर लगते लगते परेशान हो गए थे। 2017-18 में स्वीकृत योजना को उन्होंने रिश्तेदारों से 1 लाख 70 हज़ार कर्ज लेकर प्रखंड अधिकारियों के दबाव में पिछले जून 2018 में हीं कुँए का निर्माण पूरा करवा लिया था। परंतु काम पूरा होने के एक वर्ष से ज़्यादा बीत जाने के बाद भी उनको स्वीकृत राशि नहीं मिली। उसने आगे बताया कि खेती का समय नज़दीक आते ही इस वर्ष कर्ज देनेवालों ने पिता से जब तकादा करना शुरू किया तब वे रोज़ प्रखंड कार्यालय भुगतान के लिए दौड़ लगाते रहे परंतु पैसा नहीं मिल पाया। कर्ज देनेवालों का बढ़ता दबाव और ब्लॉक के अधिकारियों की जानबूझकर की गई लापरवाही के चलते आत्म हत्या के तीन-चार दिन पहले से वो ज़्यादा परेशान थे। प्रतिनिधि मंडल ने जब उस गाँव के अन्य ग्रामीणों से बात की तो पता चला कि सिर्फ लखन महतो हीं नहीं बल्कि तीस से ज़्यादा किसानों का मनरेगा के तहत कुंआ निर्माण का करीब डेढ़-डेढ़ लाख रुपया प्रखंड कार्यालय की ओर से बकाया है। उनका कहना है कि पदाधिकारी योजना स्वीकृति के बाद कार्य पूरा करने के लिए न सिर्फ दबाव बनाते हैं बल्कि धमकी भी देते हैं कि यदि कार्य जल्दी पूरा नहीं हुआ तो योजना रद्द कर देंगे और लाभुक के ऊपर मुकदमा हो जाएगा। मजबूरी में लाभुक अपना पैसा लगाकर , कर्ज लेकर, मवेशी बेचकर और यहाँ तक कि ज़मीन भी बंधक रखकर भी कार्य को पूरा करते हैं, पर जब भुगतान का समय आता है तो महीनों नहीं एक- एक साल में भी लाभुक को पैसा नहीं मिलता है। कमीशन और भ्रष्टाचार का जो सिस्टम है वो अलग।
लखन महतो के भतीजे उमेश महतो ने बताया कि BDO और कर्मचारी दबाव बनाकर ग्रामीणों से कुआँ निर्माण करवाते है परन्तु खुद मनरेगा के पैसे का भुगतान सही समय पर नहीं करते, जिससे किसान ऋणजाल में फंस जाते हैं।गाँव में मनरेगा के तहत बनाये जाने वाले बकरी शेड- गाय शेड योजना का भी यही हाल है। जहाँ लाभुकों ने अपना पैसा लगाकर कार्य किया परंतु उनका भुगतान भी नहीं हो रहा है।
इस परिस्थिति में यह साफ है कि श्री लखन महतो की आत्महत्या साधारण आत्म हत्या नहीं है बल्कि मनरेगा के तहत करवाये गए काम के बकाये राशि के कर्ज में डूबे एक मजबूर किसान द्वारा उठाया गया कदम है। इतना ही नहीं लखन महतो की 80 वर्षीय माँ “गूँजरी देवी” ने बताया कि वे पिछले कई सालों से वृद्धा पेंशन के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रही हैं परंतु आज तक उन्हें पेंशन नहीं मिला।
अतः आम आदमी पार्टी इस घटना को लेकर निम्नलिखित माँग करती है:
1. पूरे घटना की सीआईडी से जाँच करवाई जाए और नरेगा की बकाया राशि भुगतान नहीं करने वाले पदाधिकारियों पर आत्म हत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा दर्ज किया जाए ।
2. लखन महतो के परिवार को 15 लाख रु का मुआवजा दिया जाए।
3. लखन महतो के परिवार सहित सभी ग्रामीणों का नरेगा के तहत बकाये राशि का अविलंब भुगतान हो।
4.लखन महतो की 80 वर्षीय माता को वृद्धा पेंशन एवं उसकी पत्नी को विधवा पेंशन अविलम्ब दी जाए।
प्रतिनिधि मंडल में प्रदेश उपाध्यक्ष पवन पांडेय, प्रदेश सचिव राजन कुमार सिंह, प्रवक्ता कुणाल कश्यप एवं अमन साव शामिल थे।