रांची: झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ प्रदेश इकाई की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मांग पत्र सौंपा गया. मांग पत्र की प्रतिलिपि मंत्री, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा सचिव, निदेशक प्राथमिक शिक्षा एवं निदेशक, झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद को भी सौंपा गया. संघ के केन्द्रीय महासचिव अमीन अहमद ने बताया कि विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के समस्यायों के समाधान के संदर्भ में मांग पत्र दिया गया है. झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ प्रदेश इकाई के वर्चुअल मीटिंग के दौरान इन समस्याएं को चिन्हित किया गया था.
उन्होंने बताया कि बार-बार स्मारित किए जाने के बावजूद झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई (डीजी साथ) में उर्दू कंटेंट नहीं दिया जा रहा है. जिससे ऊर्दू स्कूल तथा ऊर्दू भाषी बच्चों के मातृ भाषा की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. इसलिए उर्दू कंटेंट दिया जाना चाहिए.
झारखंड सरकार द्वारा प्रोन्नति में लगाए गए रोक को हटाने का आग्रह सरकार से किया गया है. राज्य स्तर से एक पत्र जारी करने की मांग की गई है, जिसमें सभी जिलो में प्रोन्नति में एकरुपता रखने का आदेश देने का आग्रह किया गया है.
सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया है कि झारखंड के सभी जिलों में प्रधानाध्यापक के पद रिक्त पड़े हुए हैं, जिस कारण निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी का दायित्व शिक्षा अधिकारियों को सौंपा गया है. आग्रह किया गया है कि ग्रेड 7 में प्रोन्नति देकर शिक्षकों को ही डीडीओ बनाया जाए. इसके साथ ही ग्रेड 4 समेत सभी ग्रेडों में शिक्षकों को प्रोन्नति देने की मांग की गई है.
अमीन अहमद ने कहा कि ऊर्दू स्कूलों की दशा सुधारने के लिए जरूरी है कि प्रोन्नति के दौरान उर्दू विद्यालयों में उर्दू के शिक्षक अथवा उर्दू भाषा के ज्ञाता शिक्षकों को ही पदस्थापित किया जाए. इस संदर्भ में राज्य स्तर से सभी जिलो को आदेश जारी करने की अपील की गई है.
इसकेसाथही राज्य सरकार से संघ आग्रह की है कि योजना मद में शामिल उर्दू शिक्षकों को गैर योजना मद में शामिल कर उनकी समस्याओं का समाधान करे तथा भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में उर्दू शिक्षकों को गैर योजना मद में ही शामिल रखने की कृपा की जाए. साथ ही मांग की गई है कि गुमला समेत अन्य जिलों में जिला शिक्षा अधीक्षक के रिक्त पदों पर जिला शिक्षा अधीक्षक पदस्थापित किए जाएं, जिससे विभागीय कार्य सुचारु रुप से चल सके.