पंसस को नहीं मिला है 40 माह का मानदेय
संवाददाता बरही
बरही (हजारीबाग) : पंचायत समिति सदस्यों को मानदेय का लाभ लंबे अरसे से लंबित पड़ा है। चुनाव जीतने के बाद पंसस को वित्तीय वर्ष 2016-17 में अप्रैल माह 2016 से नवंबर 2016 तक 8 माह एवं दिसंबर 2016 से जनवरी 2017 तक 2 माह यानी 10 माह एवं वर्ष 2017-18 में अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2017 तक 7 माह का मानदेय सिर्फ मिल पाया है। इसके अलावा इसी वर्ष वित्तीय वर्ष 2015-16 का एरियर राशि का भुगतान जनवरी 2016 से मार्च 2016 तक 2 माह का किया गया। उसके उपरांत पंचायत समिति सदस्यों का मानदेय बंद है। पंचायत समिति सदस्यों ने बताया कि लगातार पंचायत समिति की बैठक एवं संबंधित पदाधिकारियों को इस बात से अवगत कराते रहे हैं। वहीं मानदेय की मांग करते रहे हैं किंतु अब तक उनका बकाया मानदेय नहीं मिल पा रहा है। उन्हें यात्रा भत्ता भी नहीं मिल रही है। जिसके कारण उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कितना मानदेय है बकाया : वित्तीय वर्ष 2016-17 में 2 माह का, 2017-18 में नवंबर 2017 से मार्च 2018 तक का 5 माह का, वित्तीय वर्ष 2018 -19 में 12 माह का, 2019 – 20 में 12 माह का, 2020 – 21 में जनवरी 2021 तक का 9 माह का मानदेय राशि बकाया है। जनवरी 2021 का आंशिक अवधि का भी मानदेय बाकी है। यानी 40 माह से अधिक अवधि का मानदेय पंचायत समिति सदस्यों को नहीं मिल पाया है।
कैंसर पीड़ित महिला पंसस बेबी केशरी लगाया फरियाद : बरही पश्चिमी पंचायत समिति सदस्य बेबी केशरी कैंसर से पीड़ित है। जो मुंबई के कैंसर हॉस्पिटल टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में करीब 1 साल से इलाजरत है। उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है। जिसके लिए वे लगातार मानदेय की आवाज उठा रही है। उनके पति राजेश उर्फ मेवालाल केशरी किसी तरह कर्ज खोज खोज कर उनका इलाज कराने में लगे हैं। पंससबेबी केशरी व पति राजेश उर्फ मेवालाल ने बताया कि सरकार अगर बकाया मानदेय दे देती तो इलाज में उन्हें काफी सहूलियत मिलती। वहीं रसोईया धमना की पंचायत समिति सदस्य जसवा देवी ने बताया कि बरसात में उनका घर गिर गया है। किंतु पैसे के अभाव में वे अपने मकान तक की मरम्मती नहीं करवा पा रहे हैं। इधर बरही के पंचायत समिति सदस्यों ने बकाया मानदेय की मांग की है। साथ ही कैंसर पीड़ित बेबी केशरी का मानदेय भुगतान अभिलंब करने की मांग किया है ताकि बेबी केशरी के इलाज में मदद हो सके। पंचायत समिति सदस्यों ने कहा कि जल्द ही वे लोग मानदेय की मांग को लेकर स्थानीय विधायक, जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक बात रखेंगे।