पाकुड़ : प्राथमिक शिक्षा , शिक्षण व्यवस्था का रीढ़ है उक्त बाते शहर के गुरूदेव कोचिंग सेंटर के प्रागंण में प्रेसवार्ता करते हुये झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, राँची के महासचिव रामरंजन सिंह ने कही।वर्तमान स्थिती में निजी विद्यालय के प्रबंधक को हो रही कठिनाई को देखते हुये उनके द्वारा प्रेसवार्ता आयोजित किया गया था।आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान उन्होने कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी सहित लॉकडाउन के कारण विगत 22 मार्च से समस्त विद्यालय बंद हैं, जिसके कारण निजी विद्यालयों की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है ।आज 425 दिन बीत गये ,ऑफलाइन शिक्षा कोविड के बढ़ते संक्रमण एवं सरकारी आदेश के कारण ठप हो गया है । बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के निर्देशानुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए निजी विद्यालय हर संभव प्रयास कर रहे हैं । प्रदेश के समस्त निजी विद्यालय उक्त कार्य में लगे हुए हैं ।लेकिन निम्न और मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे ऑनलाइन से आज तक नहीं जुड़ पा रहे हैं ।उन्होने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा देते रहने के बावजूद अभिभावकों की ओर से निराशा ही हाथ लगती है , वे बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं , लेकिन शिक्षण शुल्क देना नहीं चाहते । जिसके कारण विद्यालय का मेन्टेनेन्स, बिजली बिल , विद्यालय वाहन व्यवसायिक कर सहित शिक्षक, शिक्षिक एवं शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों का वेतन दे पाना औकात से बाहर की बात हो गई है । प्राथमिक एवं मध्य शिक्षा से शिक्षण व्यवस्था सहित बच्चों पर बुरा असर पड़ा है , जिसकी भरपाई समय के साथ संभव नहीं,निजी विद्यालयों के शिक्षक, शिक्षिका निर्बाध रुप से कक्षाएँ चला रहे हैं, इसके बावजूद अभिभावकों का कहना है कि शिक्षण शुल्क के लिए ऑनलाइन कक्षाएँ चलाते हैं ।प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, राँची के महासचिव होने के नाते मेरा प्रदेश के अभिभावकों से विनम्र अनुरोध है कि निजी विद्यालयों के ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों को जोड़े और निजी विद्यालयों को शिक्षण शुल्क अवश्य दें, ताकि समाज में सबों का कार्य इस विषम परिस्थिति में निर्वाध चलता रहे।उन्होने आंकड़ा रखते हुये कहा कि वर्तमान में प्रदेश के समस्त निजी विद्यालय एक साल इस आशा में गुजर गये कि नये सत्र से स्थिति सुधरेगी, लेकिन संक्रमण व लॉकडाउन बढ़ता ही जा रहा है ।प्रदेश के बीस हजार से अधिक निजी विद्यालय के आठ लाख से अधिक शिक्षक, शिक्षिक एवं शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों के सामने भूखमरी की स्थिति बनी हुई है ।बी. एड. एवं डी.एल.एड. प्रशिक्षित शिक्षक निम्न एवं मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं । इनके जीवकोपार्जन का एक मात्र सहारा शैक्षणिक कार्य ही करना है ।परिवार का सारा बोझ इनके लाचार कन्धों पर है ।उन्होने कहा कि झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, राँची के द्वारा दर्जनों पत्र,मेल एवं ट्वीटर के माध्यम से सी.एम.ओ. और पी.एम.ओ. को प्रेषित किया गया ,लेकिन कोई जबाव नहीं आया ।सरकार निजी विद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है ।अमीरों के लिए ऑनलाइन शिक्षा, गरीबों के लिए सरकार मौन, जबकि गरीब बच्चों की संख्या लाखों में है, जो शिक्षा से दूर गलत आदत ,नशापान, और गलत संगत के कारण उनका बचपन अनाथ हो गया। वे शिक्षा से काफी दूर चले गये । अभिभावक, शिक्षक लाख प्रयास और मेहनत करके भी उक्त बच्चों को पूर्व की तरह मुख्य धारा में नहीं ला पायेंगे ।उन तमाम बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया ।बच्चों के माता-पिता काफी परेशान व बेबस हैं ।उन्होने केन्द्र एवं प्रदेश सरकार से माँग करते हुये कहा कि.प्रदेश के समस्त निजी विद्यालय के शिक्षक, शिक्षिका एवं शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों को आर्थिक पैकेज दिया जाय,प्रदेश के समस्त वैसे निजी विद्यालय जिन्हें यू-डायस कोड प्राप्त है, उन्हें विद्यालय भवन का किराया ,बिजली बिल ,विद्यालय वाहन व्यवसायिक कर को तत्काल प्रभाव से माफ किया जाय ,गरीब बच्चों के लिए ऑफलाइन शिक्षा सम-विषम की व्यवस्था के तहत एवं कोविड 19 के सभी नियमों का पालन करते हुए विद्यालय खोलने की अनुमति दी जाय ।प्रेसवार्ता के दौरान ऐसोसियेशन के जिला उपाध्यक्ष गब्रियल मुर्मू, जिला कोषाध्यक्ष मनोज कुमार भगत, जिलाध्यक्ष जे.दत्ता,जिला सचिव राजकुमार भगत सहित अन्य उपस्थित थे ।